ब्रिटेन कोरोना वायरस के वेरिएंट के बारे में नया अध्ययन आया है, इसके निष्कर्ष को पढ़कर आप चौक जायेंगे
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 13 अप्रैल सबसे पहले ब्रिटेन में पाया गया कोरोना वायरस का नया स्वरूप (वेरिएंट) बीमारी के मामले में मूल स्वरूप से अधिक गंभीर नहीं है, लेकिन यह अपेक्षाकृत अधिक संक्रामक है।

‘द लांसेट इन्फेक्शस डिजीजेज’ और ‘द लांसेट पब्लिक हेल्थ’ में प्रकाशित अध्ययनों में इस बात का कोई सबूत नहीं पाया गया कि बी.1.1.7. स्वरूप से संक्रमित लोगों में अपेक्षाकृत गंभीर लक्षण हैं या उन पर किसी अन्य स्वरूप से संक्रमित मरीजों की तुलना में अधिक समय तक संक्रमित रहने का खतरा है।

अध्ययन के अनुसार, बी.1.1.7. संबंधी प्रारंभिक आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि इस वायरस से संक्रमित लोगों में वायरल लोड (शरीर में वायरस की मात्रा) अधिक होने के कारण यह अधिक संक्रामक है। कुछ सबूतों में संकेत मिला है कि वायरल लोड अधिक होने के कारण लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की अधिक आवश्यकता होती है और उनके मरने की अधिक आशंका होती है।

बहरहाल, इस स्वरूप की हाल में पहचान हुई है, इसलिए ये अध्ययन उपलब्ध डेटा के आधार पर ही किए गए।

सितंबर और दिसंबर 2020 के बीच की अवधि के डेटा संबंधी नए अध्ययन से जन स्वास्थ्य, क्लीनिकल और अनुसंधान के क्षेत्र में मदद मिलेगी।

‘द लांसेंट पब्लिक हेल्थ’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में ‘कोविड सिम्टम स्टडी’ ऐप का इस्तेमाल करने वाले 36,920 लोगों के डेटा का अध्ययन किया गया है, जो सितंबर और दिसंबर 2020 के बीच संक्रमित पाए गए थे।

अध्ययन का सह नेतृत्व करने वाले क्लेयर स्टीव ने कहा, ‘‘हम इसके अधिक संक्रामक होने की पुष्टि करते हैं, लेकिन हमने साथ ही दिखाया कि बी.1.1.7. पर लॉकडाउन का स्पष्ट रूप से असर होता है और यह मूल वायरस से संक्रमित होने के बाद पैदा हुई प्रतिरोधी क्षमता के आगे बेअसर प्रतीत होता है।’’

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