नयी दिल्ली, 29 जनवरी: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का मसौदा दिशानिर्देश उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को मिलने वाले आरक्षण को खत्म करने की साजिश है. राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘यूजीसी के नए मसौदे में उच्च शिक्षा संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को ख़त्म करने की साजिश हो रही है.
आज 45 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में लगभग 7,000 आरक्षित पदों में से 3,000 रिक्त हैं, और जिनमें सिर्फ 7.1 प्रतिशत दलित, 1.6 प्रतिशत आदिवासी और 4.5 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के प्रोफेसर हैं.’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘आरक्षण की समीक्षा तक की बात कर चुकी भाजपा-आरएसएस अब ऐसे उच्च शिक्षा संस्थानों में से वंचित वर्ग के हिस्से की नौकरियां छीनना चाहती है. यह सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले नायकों के सपनों की हत्या और वंचित वर्गों की भागीदारी ख़त्म करने का प्रयास है.’’
राहुल गांधी ने कहा कि यही ‘सांकेतिक राजनीति’ और ‘वास्तविक न्याय’ के बीच का फर्क है और यही भाजपा का चरित्र है. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ये कभी होने नहीं देगी - हम सामाजिक न्याय के लिए लड़ते रहेंगे और इन रिक्त पदों की पूर्ति आरक्षित वर्गों के योग्य उम्मीदवारों से ही कराएंगे.’’
यूजीसी के एक मसौदा दिशानिर्देश में प्रस्ताव किया गया कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रिक्तियां इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में ‘‘अनारक्षित घोषित’’ की जा सकती हैं. इस पर विवाद खड़ा होने के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को स्पष्ट किया कि एक भी आरक्षित पद अनारक्षित नहीं किया जाएगा.
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