चंडीगढ़, चार नवंबर हरियाणा के कांग्रेस विधायकों ने बृहस्पतिवार को राजभवन के लिए मार्च निकाला। उनका दावा है कि राज्यपाल ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर मिलने से इनकार कर दिया।
कांग्रेस विधायकों का कहना है कि वे राज्य की भाजपा नीत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहते हैं।
मार्च कर रहे विधायकों का नेतृत्व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कर रहे थे।
राजभवन के नजदीक भारी सुरक्षा के बीच कांग्रेस विधायकों का मार्च निकला, विधायकों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थी और किसानों के समर्थन में नारे लगा रहे थे। हालांकि, पुलिस ने उन्हें पहले ही अवरोधक के पास रोक दिया।
विधायकों के हाथों में जो तख्तियां ली थी उनपर लिखा था, ‘‘ अन्नदाता की बात सुनो, काले कानून वापस करो।’’ कांग्रेस विधायक अवरोधक के पास कुछ समय तक रुकने के बाद वापस लौट गए।
मनोहर लाल खट्टर की सरकार के खिलाफ कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाना चाहती है , इसके बारे में हुड्डा ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘इससे स्पष्ट होगा कि कौन सा विधायक जनता के साथ है और कौन सरकार के साथ।’’
हुड्डा ने दावा किया कि राज्य की भाजपा-जजपा सरकार हरियाणा की जनता का विश्वास खो चुकी है। उन्होंने कहा कि हम विशेष विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल सत्यदेव नरायण आर्य से मिलना चाहते हैं ताकि किसानों की मौजूदा स्थिति पर चर्चा हो सके।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है। इसके लिए विशेष सत्र होना चाहिए। जो विधायक सरकार का समर्थन कर रहे हैं उनमें भी असहमति की आवाज सुनाई दे रही है। वे लगातार सरकार के खिलाफ बयान दे रहे हैं और किसानों का समर्थन कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ अविश्वास प्रस्ताव से स्पष्ट हो जाएगा कि कौन विधायक जनता के साथ है और सरकार के साथ है। सरकार अविश्वास प्रस्ताव से भयभीत है क्योंकि वह जानती है कि जनता विधायकों पर जनविरोधी सरकार के खिलाफ मतदान करने के लिए दबाव बनाएगी।’’
हुड्डा ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी राज्यपाल से मुलाकात के लिए गत कई हफ्तों से समय मांग रही है लेकिन अभी तक समय नहीं मिला है।
उन्होंने कहा, ‘‘ कई बार हमे बताया गया कि वह स्वस्थ नहीं हैं जबकि अन्य समय कहा गया कि वह उपस्थित नहीं हैं।’’
सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के महत्व पर जोर देते हुए हुड्डा ने कहा, ‘‘ यह विपक्ष का संवैधानिक अधिकार है कि वह जनता की आवाज राज्यपाल तक पहुंचाए एवं यह राज्यपाल का कर्तव्य है कि वह विपक्ष की आवाज सुनें।’’
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