देश की खबरें | कांग्रेस ने मणिपुर में अशांति को लेकर मोदी सरकार की निंदा की

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नयी दिल्ली, तीन मई कांग्रेस ने मणिपुर की स्थिति को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला बोला और उस पर उदासीन एवं निष्ठुर होने का आरोप लगाया।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि मणिपुर ठीक एक साल पहले तीन मई, 2023 को जलना शुरू हुआ था।

उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर में मानवता नष्ट हो गई। (केंद्र में) उदासीन मोदी सरकार और राज्य में अयोग्य भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) सरकार के क्रूर मेल ने राज्य को वस्तुतः दो हिस्सों में बांट दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘निष्ठुर प्रधानमंत्री मोदी ने इस सीमावर्ती राज्य में कदम नहीं रखा जो उनकी अक्षमता और पूर्ण उदासीनता को उजागर करता है। उनके अहंकार ने एक खूबसूरत राज्य के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया है।’’

खरगे ने कहा कि मणिपुर के सभी समुदायों के लोग अब जानते हैं कि भाजपा ने उनके जीवन को कैसे दयनीय बना दिया है।

कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर के लोग अब जानते हैं कि मोदी सरकार द्वारा तथाकथित विकास को लेकर बेशर्म होकर ढोल बजाए जाने के कारण इस क्षेत्र में मानवता की आवाज को दबा दिया गया है। भारत के लोग अब जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को मणिपुर में उन अनगिनत जिंदगियों के प्रति रत्ती भर भी सहानुभूति नहीं है जिन्हें उन्होंने नष्ट कर दिया है।’’

उन्होंने दावा किया कि 220 से अधिक लोग मारे गए हैं, 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं और महिलाओं एवं बच्चों सहित हजारों लोग अब भी शिविरों में हैं।

खरगे ने कहा, ‘‘महिलाओं से बलात्कार हुआ, उनकी परेड कराई गई और भयावह हिंसा हुई लेकिन प्रधानमंत्री चुप रहे। आक्रोश के बाद ही प्रधानमंत्री ने अगस्त 2023 में दिखावे के लिए बोलने की जहमत उठाई, जो अब खोखला साबित हो रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सुरक्षाकर्मी शहीद हो रहे हैं। दो समुदायों के पुलिस प्रशिक्षुओं ने एक-दूसरे पर गोलीबारी की और हथियार एवं गोला-बारूद लूट लिया गया।’’

उन्होंने कहा कि जनवरी में देखा गया कि कैसे एक सशस्त्र समूह ने भारी सुरक्षा व्यवस्था वाले कांगला किले में एक बैठक में भाग लेने के लिए सांसदों/विधायकों को मजबूर किया, जहां मणिपुर की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष पर बेरहमी से हमला किया गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया।

खरगे ने दावा किया कि मणिपुर में शासन का नामोनिशान नहीं है और कानून एवं व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री पर मणिपुर को उसके हाल पर छोड़ देने और उसका प्रबंधन गृह मंत्री को ‘आउटसोर्स’ करने का आरेाप लगाया और कहा कि गृह मंत्री ‘‘निराशाजनक रूप से असंवेदनशील और अक्षम’’ साबित हुए हैं।

रमेश ने कहा, ‘‘आज से ठीक एक साल पहले मणिपुर में हिंसा भड़की थी या कहें कि सत्तारूढ़ भाजपा की स्वार्थ और विभाजनकारी राजनीति ने हिंसा भड़काई थी। सैकड़ों लोग मारे गए हैं। हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर के समुदाय अब एक-दूसरे को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं और डर के साये में जी रहे हैं। सुरक्षा बलों पर नियमित हमले हो रहे हैं और सरकार से संरक्षण प्राप्त सशस्त्र मिलिशिया हावी हैं। यहां तक ​​कि उच्चतम न्यायालय ने भी राज्य में संवैधानिक मशीनरी के ध्वस्त होने पर दुख जताया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आश्चर्य की बात यह है कि ठीक पंद्रह महीने पहले ही विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगियों को ज़बरदस्त जनादेश मिला था। वह जनादेश तीन मई 2023 को पूरी तरह से भाजपा की अपनी (गलत) गणना और जोड़-तोड़ के कारण गायब हो गया।’’

रमेश ने कहा कि ‘‘गृहयुद्ध जैसी इस स्थिति’’ के बीच भी प्रधानमंत्री चुप्पी साधे हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के प्रधानमंत्री ने मणिपुर के लोगों को ऐसे समय में उनके हाल पर छोड़ दिया है जब उन्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है। ऐसा लगता है कि उन्होंने मणिपुर मामलों का प्रबंधन अपने गृह मंत्री को ‘आउटसोर्स’ कर दिया है, जो निराशाजनक रूप से असंवेदनशील और अक्षम साबित हुए हैं।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि आज मणिपुर में जो स्थिति है, वह मोदी सरकार की झांसा दो और शासन करो की नीति का परिणाम है, जो पूर्वोत्तर में उनकी विशेषता रही है।

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