विदेश की खबरें | जलवायु परिवर्तन से वैश्विक स्तर पर पहाड़ों, मानव गतिविधियों पर असर पड़ेगा : अध्ययन
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. जलवायु परिवर्तन पर्वतीय क्षेत्रों और मानव गतिविधियों पर वैश्विक रूप से नकारात्मक असर डालेगा और इससे हिमस्खलन, नदियों में बाढ़, भूस्खलन, मलबे के प्रवाह और झील के फटने जैसे खतरों के जोखिम भी बढ़ेंगे। एक अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है।
जोहानिसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका), आठ नवंबर जलवायु परिवर्तन पर्वतीय क्षेत्रों और मानव गतिविधियों पर वैश्विक रूप से नकारात्मक असर डालेगा और इससे हिमस्खलन, नदियों में बाढ़, भूस्खलन, मलबे के प्रवाह और झील के फटने जैसे खतरों के जोखिम भी बढ़ेंगे। एक अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जलवायु परिवर्तन के खतरे से दुनियाभर में पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों के लिए स्थिति और अधिक खतरनाक बनने का जोखिम है, जबकि उनका त्वरित विकास आगे पर्यावरणीय जोखिम ला सकता है।
अध्ययन ‘पीर जे’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन से यह पता चलता है कि कैसे जटिल पर्वतीय प्रणालियां जलवायु परिवर्तन के लिए बहुत अलग और कभी-कभी अप्रत्याशित तरीकों से प्रतिक्रिया करती हैं और ये प्रतिक्रियाएं पर्वतीय क्षेत्रों और समुदायों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं।
दक्षिण अफ्रीका में यूनिवर्सिटी ऑफ विटवाटरसैंड के प्रोफेसर जैस्पर नाइट ने कहा, ‘‘दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग के कारण पर्वतीय ग्लेशियर पिघल रहे हैं और इससे पर्वतीय भू-आकृतियों, पारिस्थितिक तंत्र और लोगों पर प्रभाव पड़ रहा है। हालांकि, ये प्रभाव अत्यधिक परिवर्तनशील हैं।’’
नाइट ने कहा, ‘‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की नवीनतम रिपोर्ट सभी पहाड़ों को समान रूप से संवेदनशील मानती है और जलवायु परिवर्तन के प्रति समान प्रतिक्रिया देती है। हालांकि, यह दृष्टिकोण ठीक नहीं है।’’
शोधकर्ताओं ने पाया कि बर्फ से ढंके पहाड़ कम अक्षांश वाले उन पहाड़ों से अलग तरह से काम करते हैं जहां बर्फ आम तौर पर अनुपस्थित होती है। उन्होंने कहा कि यह निर्धारित करता है कि उनकी जलवायु को लेकर क्या प्रतिक्रिया होती हैं और भविष्य में पर्वतीय परिदृश्य विकास के किस पैटर्न की हम उम्मीद कर सकते हैं।
बर्फ से ढंके ये पर्वतीय क्षेत्र विश्व स्तर पर करोड़ों लोगों के लिए पानी उपलब्ध कराते हैं, लेकिन बदलते मौसम के कारण यह जल आपूर्ति खतरे में है क्योंकि ये पर्वतीय हिमनद छोटे-और छोटे होते जा रहे हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, भविष्य में एशिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और यूरोप के शुष्क महाद्वीपीय क्षेत्रों में जल संकट और भी बदतर होगा।
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