जरुरी जानकारी | चीन का निर्यात सितंबर में पड़ा धीमा, अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ी चिंता
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हांगकांग, 14 अक्टूबर वैश्विक मांग कमजोर होने के कारण चीन के निर्यात में सितंबर में सुस्ती आई है। इससे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता बढ़ी है।
चीनी सीमा शुल्क कार्यालय ने सोमवार को कहा कि पिछले महीने निर्यात सालाना आधार पर डॉलर के संदर्भ में 2.4 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि अगस्त में इसमें सालाना आधार पर 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। सितंबर में आयात केवल 0.3 प्रतिशत बढ़ा।
अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि निर्यात में लगभग छह प्रतिशत और आयात में लगभग 0.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
चीन का व्यापार अधिशेष सितंबर में 81.7 अरब डॉलर रहा। यह अगस्त के 91 अरब डॉलर के आंकड़े से कम है।
चीन सरकार कोविड-19 महामारी समाप्त होने के बाद से अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए जूझ रही है।
अमेरिका और यूरोप ने हाल ही में चीन के इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य उत्पादों के निर्यात पर शुल्क दरें बढ़ा दी हैं। इससे चीन के लिए विकास का इंजन माना जाने वाला व्यापार की स्थिति बिगड़ी है। आयात में कमजोर वृद्धि धीमी मांग को बताती है। इसका एक कारण रियल एस्टेट क्षेत्र में लंबे समय तक नरमी का होना है।
सोमवार को जारी अन्य आंकड़ों में मुद्रास्फीति में कमी और विनिर्माताओं के लिए थोक कीमतों में गिरावट देखी गई।
चीन के नीति-निर्माताओं ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। इसमें खर्च और निर्माण परियोजनाओं के लिए अगले साल के बजट से 200 अरब युआन (28.2 अरब डॉलर) का प्रावधान शामिल हैं।
वित्त मंत्री लैन फान ने सप्ताहांत कहा कि सरकार तेज आर्थिक वृद्धि के लिए और भी कदमों पर विचार कर रही है।
हालांकि, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि लैन और अन्य अधिकारियों ने अभी तक उस पैमाने पर प्रोत्साहन नहीं दिया है जो अर्थव्यवस्था को सुस्ती से बाहर निकालने के लिए आवश्यक है।
आईएनजी इकनॉमिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल सितंबर तक चीन के निर्यात में सालाना आधार पर 4.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसका प्रमुख कारण वाहन निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। लेकिन कुल मिलाकर निर्यात धीमा हो रहा है।
रिपोर्ट में इस साल सरकार के लगभग पांच प्रतिशत सालाना आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य का जिक्र करते हुए कहा गया है, ‘‘जब विकास का यह इंजन रुक रहा है, ऐसे में आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य हासिल करने के लिए निवेश और उपभोग जैसे अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों को बढ़ाने की जरूरत होगी।’’
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