India Hits Hard At China: पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने चीन को चेताया, कहा- हमारा का जवाब हमेशा ऐसा नहीं रहेगा
पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के घटनाक्रम से चीन को लेकर भारत को रणनीतिक स्पष्टता मिली है और उसके नजरिए में बदलाव आया है.
India Hits Hard At China: पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले (Vijay Gokhale) ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के घटनाक्रम से चीन को लेकर भारत को रणनीतिक स्पष्टता मिली है और उसके नजरिए में बदलाव आया है. उन्होंने साथ ही कहा कि चीन को भी अपनी इस सोच पर फिर से विचार करने की जरूरत है क्यों. चीन में भारत के पूर्व राजदूत रहे गोखले ने कहा कि एलएसी पर अन्य पक्ष के पास हथियारों की मौजूदगी को लेकर भारत भी सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए अधिक इच्छुक एवं प्रतिबद्ध है. गोखले ने ‘चीन की भारत नीति: भारत-चीन संबंधों के लिए सबक’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में कहा, ‘‘ भारत की मौजूदा क्षमता के आधार पर उसकी भविष्य की कार्रवाइयों का आकलन करना सही नहीं होगा.’’ थिंकटैंक ‘कार्नेजी भारत’ के लिए यह लेख लिखा गया.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद को बताया था कि चीन के सैनिकों ने नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर में यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति बदलने का एकतरफा प्रयास किया जिसका भारत के जवानों ने दृढ़ता से जवाब दिया और उन्हें लौटने के लिए मजबूर कर दिया. लेख में गोखले ने जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई झड़प के बाद चीन को लेकर भारत के नजरिए में आए बदलाव का भी उल्लेख किया. गोखले ने कहा, ‘‘ संयम रणनीति की अवधारणा बदली है. इसकी वजह राजनीतिक गलियारे में आक्रामक रवैया अपनाने को लेकर आया बदलाव भी है, जिसके चलते ही रेजांग ला में ‘स्नो लेपर्ड काउंटर-ऑपरेशन’ को अंजाम दिया गया.
’’ गोखले ने कहा कि 2020 के एलएसी घटनाक्रम के कारण चीन को लेकर भारत के नजरिए में बदलाव आया. उन्होंने कहा, ‘‘ भारत के निर्णय लेने और रणनीतिक हलकों में जो अस्पष्टता थी कि चीन एक भागीदार है या प्रतिद्वंद्वी, उसकी जगह रणनीतिक स्पष्टता ने ले ली है.’’ गोखले ने कहा, ‘‘ चीन के हर एक कदम को अब विरोधात्मक माना जाता है और कुछ ही लोग होंगे जो उसे संदेह का लाभ देना चाहेंगे। गलवान की घटना से चीन को लेकर देश की जनता की राय बदली है.’’ पूर्व शीर्ष राजनयिक ने कहा कि चीनी विद्वानों को भी इस धारणा पर फिर विचार करने की जरूरत है कि भविष्य में उनकी सैन्य आक्रामकता के प्रति भारत का जवाब हमेशा ऐसा नहीं रहेगा.
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