वाशिंगटन, 26 सितंबर : कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके बच्चों और किशोरों के टाइप 1 मधुमेह (टी1डी) से पीड़ित होने का अत्यधिक खतरा है. एक अध्ययन में यह दावा किया गया है. पत्रिका ‘जेएएमए नेटवर्क ओपन’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, संक्रमित होने के छह महीने के बाद 18 वर्ष से कम आयु के लोगों के टी1डी से पीड़ित पाए जाने के मामलों में उन लोगों की तुलना में 72 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई, जो कोविड-19 से संक्रमित नहीं हुए हैं.
इसके तहत मार्च 2020 से दिसंबर 2021 के बीच सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित पाए गए अमेरिका एवं 13 अन्य देशों के 18 साल या उससे कम आयु के 10 लाख से अधिक लोगों पर अध्ययन किया गया. इन मरीजों में वे लोग भी शामिल थे, जो इसी अवधि में ऐसे श्वसन संक्रमणों से संक्रमित हुए, जिनका संबंध कोविड-19 से नहीं था. अमेरिका स्थित ‘केस वेस्टर्न रिजर्व स्कूल ऑफ मेडिसिन’ में प्रोफेसर पामेला डेविस ने कहा, ‘‘टाइप 1 मधुमेह को स्व-प्रतिरक्षा (ऑटोइम्यून) रोग माना जाता है.’’ यह भी पढ़ें : Odisha: मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ‘जनजातियों पर विश्वकोश’ जारी किया
डेविस ने कहा, ‘‘यह अमूमन इसलिए होता है, क्योंकि शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देती है, जिसके कारण इंसुलिन बनना बंद हो जाता है और यह बीमारी होती है. ऐसा बताया जाता है कि कोविड के कारण स्व-प्रतिरक्षा संबंधी प्रक्रियाओं में बढ़ोतरी होती है और हमारा मौजूदा अध्ययन इसी बात की पुष्टि करता है.’’
अध्ययन में पाया गया कि कोरोना वायरस संक्रमण के छह महीने के भीतर 123 मरीज टी1डी से पीड़ित पाए गए, जबकि इसी अवधि में 72 ऐसे मरीज टी1डी से पीड़ित पाए गए, जो श्वसन प्रणाली के ऐसे संक्रमण से संक्रमित हुए थे, जिसका संबंध कोविड-19 से नहीं है.