श्रम कानून में बदलाव श्रमिकों के हित में होना चाहिये, उनके अहित में नहीं:मायावती
जमात

मायावती ने ट्वीट किया, ‘‘कोरोना वायरस संकट के बीच मजदूरों/श्रमिकों का सबसे बुरा हाल है। इसके बावजूद उनसे आठ के बजाए 12 घंटे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था पुनः लागू करना अति-दुःखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। श्रम कानून में बदलाव देश की रीढ़ श्रमिकों के व्यापक हित में होना चाहिये, ना कि उनके अहित में।''

उन्होंने एक अन्य ट्वीट किया कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने श्रमिकों के लिए काम के प्रतिदिन 12 घंटे के बजाए आठ घंटे तय करने और उससे अधिक समय तक काम लेने पर उन्हें अधिक पैसे दिए जाने की व्यवस्था तब की थी, जब देश में श्रमिकों/मजदूरों का शोषण चरम पर था।

उन्होंने कहा, ‘‘इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित है?''

बसपा नेता ने कहा, ‘‘देश में वर्तमान हालात के मद्देनजर श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिये, जिससे खासकर कारखानों/निजी संस्थानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए वहीं ठहरने आदि की व्यवस्था हो। किसी भी स्थिति में वे भूखे ना मरे और ना ही उन्हें पलायन की मजबूरी हो। ऐसी कानूनी व्यवस्था होनी चाहिये।’’

मायावती ने कहा, ''सरकारें बेरोजगारी एवं भूख से तड़प रहे करोड़ों श्रमिकों/मजदूरों के विरुद्ध शोषणकारी आदेश लगातार जारी कर रही हैं। यह अति-दुखद एवं सर्वथा अनुचित है, जबकि कोरोना वायरस संकट में इन्हें ही सबसे ज्यादा सरकारी मदद एवं सहानुभूति की जरूरत है।''

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित उद्योगों को मदद देने के मकसद से उत्तर प्रदेश सरकार ने उद्योगों को अगले तीन साल के लिए श्रम कानूनों से छूट देने का फैसला किया है।

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