देश की खबरें | न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम की सिफारिश वाले नामों को मंजूरी देने में केंद्र का रवैया मनमाफिक चुनाव वाला: न्यायालय

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी देने में केंद्र के रवैये को मनमाफिक तरीके से चुनाव वाला बताया और कहा कि इससे अच्छा संदेश नहीं जाता।

नयी दिल्ली, 20 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी देने में केंद्र के रवैये को मनमाफिक तरीके से चुनाव वाला बताया और कहा कि इससे अच्छा संदेश नहीं जाता।

न्यायालय ने कहा कि कॉलेजियम ने जिन 11 न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिश की है, उनमें से पांच का स्थानांतरण कर दिया गया है लेकिन छह के मामले अभी लंबित हैं। इनमें चार गुजरात उच्च न्यायालय से और एक-एक इलाहाबाद तथा दिल्ली उच्च न्यायालय से हैं।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लिए हाल में जिन नामों की सिफारिश की गई है, उनमें से आठ को मंजूरी नहीं दी गई है और इनमें से कुछ न्यायाधीश नियुक्त किये गये न्यायाधीशों से वरिष्ठ हैं।

शीर्ष न्यायालय के कॉलेजियम में सदस्य न्यायमूर्ति कौल ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी से कहा, ‘‘मेरी जानकारी के अनुसार आपने पांच न्यायाधीशों के तबादले के लिए आदेश जारी किये हैं। छह न्यायाधीशों के लिए आपने आदेश जारी नहीं किया है। इनमें से चार गुजरात के हैं। पिछली बार भी मैंने कहा था कि इससे अच्छा संदेश नहीं जाता।’’

न्यायाधीश ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछली बार भी मैंने इस बात पर जोर दिया था कि चुनिंदा तरीके से स्थानांतरण मत कीजिए।’’

उन्होंने कहा कि सरकार स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नामों के संबंध में मनमाफिक तरीके से चुनाव की नीति अपना रही है।

पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इनमें से एक में नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम की सिफारिश वाले नामों को स्वीकृति देने में केंद्र की ओर से देरी का आरोप लगाया गया था।

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनिंदा तरीके से नियुक्ति करने से समस्या पैदा होती है क्योंकि लोगों की वरिष्ठता प्रभावित होती है।

कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर अक्सर उच्चतम न्यायालय और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध की स्थिति रही है।

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