देश की खबरें | केंद्र इस सप्ताह सीएपीएफ की 50 और कंपनी मणिपुर भेजेगा

नयी दिल्ली, 18 नवंबर केंद्र ने मणिपुर में सुरक्षा और कानून व्यवस्था की ‘‘चुनौतीपूर्ण’’ स्थिति को देखते हुए, पूर्वोत्तर राज्य में 5,000 से अधिक कर्मियों वाली

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की अतिरिक्त 50 कंपनी भेजने का फैसला किया है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

जिरीबाम जिले में भड़की हिंसा के अन्य स्थानों पर फैलने पर 12 नवंबर को जारी एक आदेश के बाद गृह मंत्रालय ने 20 अतिरिक्त सीएपीएफ कंपनी राज्य में भेजी थीं जिनमें से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 15 और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की पांच कंपनी हैं।

सीआरपीएफ के महानिदेशक ए डी सिंह और अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारी भी राज्य में मौजूद हैं।

पिछले सप्ताह की तैनाती के बाद राज्य में अब सीएपीएफ की कुल 218 कंपनी हैं। मणिपुर पिछले साल मई से जातीय संघर्ष से जूझ रहा है।

सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट की गई हिंसा के स्तर और बदल रही कानून व्यवस्था की स्थिति के अनुसार मणिपुर में इन नयी 50 इकाइयों को तैनात करने के लिए राज्य सरकार और गृह मंत्रालय के परामर्श से योजना तैयार की जा रही है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के लिए सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे, जिसमें वह पूर्वोत्तर राज्य में ‘‘अस्थिर” स्थिति से निपटने के लिए रणनीति तैयार कर सकते हैं।

पिछले साल मई से जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में महिलाओं और बच्चों के शव बरामद होने के बाद लोगों ने हिंसक प्रदर्शन किए जिससे एक बार फिर वहां स्थिति अस्थिर हो गई।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को बताया था कि मणिपुर में तैनात सभी सुरक्षा बलों को राज्य में व्यवस्था और शांति बहाल करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।

मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा था, ‘‘पिछले कुछ दिनों से मणिपुर में सुरक्षा परिदृश्य नाजुक बना हुआ है। संघर्ष में दोनों समुदायों के सशस्त्र उपद्रवी हिंसा में लिप्त रहे हैं। इस हिंसा में लोगों की जान चली गई और लोक व्यवस्था में बाधा उत्पन्न हुई।’’

नाजुक स्थिति को देखते हुए केंद्र ने बृहस्पतिवार को हिंसा प्रभावित जिरीबाम सहित राज्य के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) को पुनः लागू कर दिया।

पिछले वर्ष मई से इंफाल घाटी स्थित मेइती और समीपवर्ती पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

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