देश की खबरें | सीबीआई ने वाल्टेयर रेलवे मंडल के डीआरएम को 25 लाख रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया
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नयी दिल्ली, 17 नवंबर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पूर्वी तटीय रेलवे के एक मंडल रेल प्रबंधक को एक निजी कंपनी के मालिक से 25 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि आरोपी सौरभ प्रसाद को शनिवार को मुंबई में गिरफ्तार किया गया।
विशाखापत्तनम में वाल्टेयर मंडल के रेलवे प्रबंधक के पद पर तैनात भारतीय रेलवे मैकेनिकल इंजीनियरिंग सेवा के 1991 बैच के अधिकारी प्रसाद कथित तौर पर पूर्वी तटीय रेलवे द्वारा दिए गए ठेकों में खराब प्रदर्शन के लिए जुर्माना कम करने और 3.17 करोड़ रुपये के बिलों के भुगतान के बदले में मुंबई स्थित डी. एन. मार्केटिंग के मालिक सानिल राठौड़ से रिश्वत ले रहे थे।
उन्होंने बताया कि ये ठेके डीएन मार्केटिंग और पुणे स्थित एचआरके सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ने हासिल किए थे, जिसका नियंत्रण आनंद भगत के पास था। सीबीआई ने कहा कि उसने राठौड़ और भगत को भी गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तारियों के बाद सीबीआई ने मुंबई, विशाखापत्तनम, पुणे, वडोदरा और कोलकाता में 11 स्थानों पर छापे मारे।
प्रसाद के मुंबई स्थित आवास पर छापेमारी रविवार को भी जारी रही, क्योंकि तीन अलमारियां बंद थीं और चाबियां उपलब्ध नहीं थीं।
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बयान में कहा, "जारी तलाशी के दौरान सीबीआई ने अब तक 87.6 लाख रुपये (लगभग), लगभग 72 लाख रुपये के आभूषण, संपत्ति के दस्तावेज, लॉकर की चाबियां आदि बरामद की हैं।"
एजेंसी ने बताया कि कल्याण में एक फ्लैट के लिए किए गए निवेश, लॉकर की चाबी और प्रसाद के बैंक बैलेंस से जुड़े दस्तावेजों समेत कई दस्तावेज बरामद हुए हैं।
एजेंसी ने कहा कि रिश्वत कथित तौर पर पूर्वी तटीय रेलवे द्वारा दिए गए एक अनुबंध में खराब प्रदर्शन के लिए लगाए गए जुर्माने को कम करने के लिए "ईनाम" के रूप में दी गई थी।
सीबीआई प्रवक्ता ने बयान में कहा, "आरोप यह भी है कि एक निजी कंपनी के 3.17 करोड़ रुपये के बिल पूर्वी तटीय रेलवे, विशाखापत्तनम के पास लंबित थे। हालांकि, अनुबंध के निष्पादन में देरी के कारण, उक्त कंपनी को भारी जुर्माना लगाने का सामना करना पड़ा।"
राठौड़ और भगत ने कथित तौर पर प्रसाद से संपर्क किया, जिन्होंने जुर्माना राशि कम करने के लिए 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगी।
प्रवक्ता ने कहा, "आरोप है कि मामले में आरोपी डीआरएम के हस्तक्षेप के बाद, कम जुर्माना लगाया गया और निजी कंपनी का बिल मंजूर कर दिया गया। बिल मंजूर करने के लिए, मुंबई स्थित निजी कंपनी के आरोपी मालिक (राठौड़) ने 16 नवंबर को मुंबई दौरे के दौरान आरोपी डीआरएम को 25 लाख रुपये की रिश्वत देने की व्यवस्था की।"
उन्होंने बताया कि सीबीआई ने जाल बिछाकर डीआरएम तथा मुंबई स्थित निजी कंपनी के मालिक को 25 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ लिया।
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