![देश की खबरें | क्या समलैंगिकों से बर्ताव के बारे में पुलिस नियमावली में संशोधन किया जा सकता है: अदालत ने पूछा देश की खबरें | क्या समलैंगिकों से बर्ताव के बारे में पुलिस नियमावली में संशोधन किया जा सकता है: अदालत ने पूछा](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2020/04/india_default_img-380x214.jpg)
मुंबई, 28 जुलाई बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जानना चाहा कि क्या ट्रांसजेंडर और समलैंगिक व्यक्तियों से बर्ताव के तरीके के बारे में पुलिस बल को संवेदनशील बनाने के लिए महाराष्ट्र पुलिस नियमावली में संशोधन किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की पीठ ने जेलों में बंद ट्रांसजेंडर और समलैंगिक व्यक्तियों के साथ बर्ताव के संबंध में समाधान तलाशने के लिए महाराष्ट्र के महानिरीक्षक (कारागार) से सुझाव भी मांगे।
अदालत एक समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रिश्ते पर आपत्ति जताते हुए उनके माता-पिता में से एक के द्वारा दर्ज कराई गई गुमशुदगी की शिकायत के मद्देनजर सुरक्षा का अनुरोध किया गया है।
पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान समलैंगिक जोड़े के वकील विजय हिरेमथ से पूछा था कि क्या इस मुद्दे पर कोई दिशा-निर्देश तैयार किया जा सकता है।
हिरेमथ ने शुक्रवार को अदालत को सूचित किया कि मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष इसी तरह के एक मामले में, पारित आदेशों के बाद, तमिलनाडु के केंद्रीय कारागार अपने सदस्यों की मदद से एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।
अदालत ने तब पूछा कि क्या महाराष्ट्र में राज्य पुलिस नियमावली में इस आशय का कोई संशोधन किया जा सकता है।
वकील ने अदालत को सूचित किया कि आईजी (कारागार) का कार्यालय बंबई पुलिस नियमावली में संशोधन करने के वास्ते सुझाव देने के लिए सक्षम है।
इसे देखते हुए अदालत ने आईजी (कारागार) को याचिका में प्रतिवादी पक्ष बनाने का निर्देश दिया।
पीठ ने एक सक्षम पुलिस अधिकारी को अगली सुनवाई में यह बताने के लिए भी कहा कि क्या पुलिस नियमावली में कोई उचित संशोधन जोड़ा जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी विशिष्ट समुदाय के व्यक्तियों के खिलाफ कोई भेदभाव न हो।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 अगस्त की तारीख तय की।
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