नयी दिल्ली, 18 जून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में कारोबारी गतिविधियां अब तेजी से सामान्य हो रही हैं। घरेलू अर्थव्यवस्था में खपत और मांग की स्थिति कोविड-19 से पहले के स्तर पर पहुंच रही है।
कोयला खानों की निजी क्षेत्र को वाणिज्यिक खनन के लिये नीलामी की शुरुआत के मौके पर मोदी ने कहा कि बिजली, ईंधन तथा उपभोग की अन्य चीजों के वृहद आंकड़ों से पता चलता है कि कारोबारी गतिविधियां तेजी से सामान्य स्तर पर पहुंच रही हैं।
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देश में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च से एक लंबा लॉकडाउन लागू किया गया। विभिन्न चरणों में यह लॉकडाउन जून तक जारी रहा। इससे उपभोक्ता खपत बुरी तरह प्रभावित हुई। साथ ही यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ी गिरावट आएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के नियमों में ढील के बाद कारोबारी गतिविधियां तेजी से सामान्य स्तर की ओर लौट रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘खपत और मांग तेजी से कोविड-19 से पूर्व के स्तर की तरफ बढ़ रही है।’’
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मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा कि बिजली और ईंधन की मांग बढ़ी है, यह अर्थव्यवस्था में सुधार के कई संकेतकों में से एक है। उन्होंने कहा कि मई के अंतिम सप्ताह और जून के पहले सप्ताह के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों की मांग भी काफी बढ़ी है।
मोदी ने कहा कि अप्रैल की तुलना में ई-वे बिलों में करीब 200 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सड़क और राजमार्गों पर जून में टोल संग्रह कोविड-19 से पहले यानी फरवरी के 70 प्रतिशत पर पहुंच गया। वहीं अप्रैल की तुलना मई में रेलवे की माल ढुलाई में भी 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मूल्य और मात्रा दोनों के हिसाब से डिजिटल लेनदेन बढ़ा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये जितने भी संकेतक हैं, वे भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से पटरी पर लौटने की ओर इशारा करते हैं।’’
मोदी ने कहा कि पूर्व में भी भारत बड़े संकटों से बाहर निकला है। वह मौजूदा संकट से
भी बाहर आएगा। लॉकडाउन की वजह से अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी। हालांकि, रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था उबर जाएगी।
सरकार और रिजर्व बैंक ने अभी तक 2020-21 के लिए वृद्धि दर का अनुमान नहीं दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी तेजी से सुधार आ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल की तुलना में खरीफ फसल का बुवाई क्षेत्र 13 प्रतिशत बढ़ा है। इस साल गेहूं का उत्पादन और खरीद दोनों में वृद्धि होगी। पिछले साल से तुलना की जाए, तो गेहं की खरीद 11 प्रतिशत अधिक रही है, जिसका मतलब है कि किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
मोदी ने कहा, ‘‘भारत पूर्व के संकटों से बाहर निकला है। इस बार भी वह संकट से बाहर निकलेगा। भारत की सफलता, वृद्धि निश्चित है। हम आत्म-निर्भर बन सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ सप्ताह पहले तक हम एन-95 मास्क, कोरोना वायरस जांच किट, निजी सुरक्षा किट (पीपीई) और वेंटिलेटर्स का आयात करते थे। लेकिन अब हम इस मामले में आत्मनिर्भर हो चुके हैं और कुछ चिकित्सा उपकरणों का निर्यात करने की स्थिति में हैं।’’
प्रधानमंत्री ने आत्म-निर्भरता पर विशेष जोर दिया है। इसका मतलब आयात घटाना तथा निर्यात अधिशेष वाला देश बनना है।
उन्होंने भारतीय उद्योगों और कॉरपोरेट जगत के लोगों से अपना मनोबल ऊंचा रखने को कहा। मोदी ने कहा, ‘‘हम इन लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। हम आत्म-निर्भर बन सकते हैं। हमें आत्म-निर्भर भारत बनाना होगा।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय उद्योगों और कॉरपोरेट जगत के पास इतिहास और देश का भाग्य बदलने का अवसर है। हमें यह मौका गंवाना नहीं चाहिए। ‘‘भारत को आगे लेकर चलें और देश को आत्म-निर्भर बनाएं।’’
मोदी ने कोयला जैसे क्षेत्रों में आयात पर निर्भरता को पलटने का आह्वान करते हुए कहा कि हमें घरेलू उपलब्ध संसाधनों का दोहन करना चाहिए और शुद्ध निर्यातक बनना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘आत्म-निर्भर भारत का मतलब आयात पर निर्भरता को कम करना है। आत्म-निर्भर भारत आयात पर होने वाले हजारों करोड़ रुपये के खर्च की बचत कर सकता है और इस पैसे को गरीबों के कल्याण पर खर्च किया जा सकता है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘आत्म-निर्भर भारत का मतलब ऐसा भारत बनाने से है, जो घरेलू संसाधनों का दोहन करे और जिसे आयात करने की जरूरत नहीं हो। ‘‘आज हम जो सामान मंगाते हैं, कल हम उसी के सबसे बड़े निर्यातक होंगे।’’
यहां प्रधानमंत्री का इशारा इस ओर था कि भारत के पास कोयले का चौथा सबसे बड़ा भंडार है, लेकिन इसके बावजूद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ कोयला आयातक है। उन्होंने कहा कि कोयले के वाणिज्यिक खनन से भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बन सकेगा।
मोदी ने कहा, ‘‘भारत कोरोना से लड़ेगा और जीतेगा। हमें इस संकट को अवसर में बदलना होगा।’’
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