मुंबई, 23 मार्च : उच्च न्यायालय (High Court) ने सांगली की अदालत के उस आदेश को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया, जिसने नवनिर्माण सेना (MNS) के पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा 2008 में आयोजित विरोध प्रदर्शन के मामले में आरोप-मुक्त किये जाने संबंधी पार्टी अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) की अर्जी निरस्त कर दी थी. न्यायमूर्ति अमित बोरकर की अदालत ने दक्षिण पूर्व महाराष्ट्र के सांगली जिले में स्थित इस्लामपुर की सत्र अदालत को निर्देश दिया कि वह ठाकरे की आरोप मुक्त करने की अर्जी पर नए सिरे से सुनवाई करे.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में रह रहे उत्तर भारतीयों के खिलाफ उनकी पार्टी द्वारा शुरू विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में ठाकरे को 21 अक्टूबर 2008 को रत्नागिरि में गिरफ्तार किया गया था. क्षेत्रीय पार्टी ने दावा किया था कि राज ठाकरे उत्तर भारतीय ‘भूमि पुत्रों’ को राज्य में रोजगार से वंचित कर रहे हैं.ठाकरे की गिरफ्तारी के बाद मुंबई, जलगांव, औरंगाबाद और राज्य के विभिन्न हिस्सों में दंगे भड़क गए थे. इन मामलों में 54 वर्षीय ठाकरे और उनके समर्थकों के खिलाफ कई प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं. यह भी पढ़ें : Karnataka Election: पीएम मोदी 25 मार्च को चुनावी राज्य कर्नाटक का दौरा करेंगे
ऐसी ही प्राथमिकियों में एक प्राथमिकी ठाकरे के खिलाफ सांगली में अवैध तरीके से लोगों को जमा करने और शांति भंग करने की धाराओं में दर्ज की गई थी. ठाकरे ने वर्ष 2013 में वहां की मजिस्ट्रेट अदालत में आरोप मुक्त करने की अर्जी दायर की थी जिसे मजिस्ट्रेट अदालत ने खारिज कर दिया और आरोप तय करने के लिए राज ठाकरे को समन किया था. इसके बाद मनसे ठाकरे ने सत्र न्यायालय का रुख किया, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिलने पर उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया.