चंडीगढ़/श्रीनगर, आठ अक्टूबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को हरियाणा में कांग्रेस की उम्मीदों को तोड़ते हुए और 10 साल की कथित सत्ता विरोधी लहर को बेअसर करते हुए शानदार जीत हासिल की और सत्ता की ‘हैट्रिक’ लगाई। वहीं, जम्मू-कश्मीर में 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने बाद पहली बार कराए गए विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने शानदार जीत हासिल की।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की निर्णायक जीत का श्रेय मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया। इस जीत से आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का उत्साह बढ़ा है जहां वह अपने दो सहयोगियों के साथ कठिन लड़ाई के लिए तैयार है। साथ ही पार्टी का आगामी झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए भी मनोबल बढ़ा है।
भाजपा के साथ-साथ नेकां-कांग्रेस गठबंधन को क्रमशः हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की 90-90 सदस्यीय विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिला है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव से महज छह महीने पहले मनोहर लाल खट्टर को अप्रत्याशित रूप से हटाकर मुख्यमंत्री बनाए गए 54 वर्षीय नायब सिंह सैनी के अपने पद पर बने रहने की संभावना है, वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने घोषणा की है कि उनके बेटे और पार्टी नेता उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री होंगे।
उमर इससे पहले 2009 से 2014 तक तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर सिलसिलेवर पोस्ट कर हरियाणा में भाजपा के प्रदर्शन की सराहना करते हुए इसे ‘शानदार जीत’ बताया और कहा कि विकास और सुशासन की राजनीति की जीत हुई है।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में ‘शानदार’ प्रदर्शन के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस की भी सराहना की और कहा कि उन्हें केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा के प्रदर्शन पर गर्व है।
मोदी ने बाद में दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा के लोगों ने झूठ को खत्म कर दिया है और जम्मू-कश्मीर में चुनाव भारत के संविधान और लोकतंत्र की जीत है। उन्होंने नेकां को जीत की बधाई दी और कहा कि मत प्रतिशत के मामले में वहां भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजों ने ‘एग्जिट पोल’ के अनुमानों को गलत साबित कर दिया है। जून में लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बीच हुई पहली बड़ी सीधी लड़ाई में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने 90 में से 48 सीट पर जीत दर्ज की जबकि 2019 में उसे 41 सीट मिली थी। भाजपा लोकसभा चुनाव में मिले झटके से भी उबरती नजर आई क्योंकि 2019 में उसने सभी 10 सीट पर जीत दर्ज की थी जो 2024 के चुनाव में घटकर पांच रह गई थी।
सैनी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं इसका पूरा श्रेय मोदी जी को देता हूं। उनके आशीर्वाद से, उनके मार्गदर्शन में, हरियाणा के लोगों ने सरकार की नीतियों पर मुहर लगाई है।’’
हरियाणा में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा सरकार के 10 मंत्रियों में से आठ मंत्री चुनाव हार गए हैं। निवर्तमान विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता भी चुनाव हार गए हैं।
भाजपा ने हरियाणा में मिली जीत को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया और जम्मू-कश्मीर में जनादेश को भी स्वीकार किया।
हरियाणा में मतगणना में कुछ स्थानों पर कांटे की टक्कर देखने को मिली, लेकिन राज्य इकाई में कथित तौर पर गुटबाजी की शिकार कांग्रेस किसानों की कथित दुर्दशा और सशस्त्र बलों में गैर-कमीशन पदों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना के मुद्दे पर सरकार को निशाना बनाकर लोकसभा में मिली बढ़त को बरकरार रखने की उम्मीद कर रही थी। हालांकि उसे 37 सीट पर संतोष करना पड़ा जो बहुमत से दूर है।
खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस का मत प्रतिशत लगभग बराबर रहा। दोनों दलों ने क्रमशः 39.94 प्रतिशत और 39.04 प्रतिशत मत प्राप्त किया। कांग्रेस ने जहां मत प्रतिशत में 11 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी की, वहीं भाजपा के मत प्रतिशत में तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई।
चुनाव जीतने वाली कांग्रेस की चर्चित हस्तियों में ओलंपिक खिलाड़ी विनेश फोगट भी शामिल हैं। उन्होंने जुलाना सीट 6,015 मतों के अंतर से जीती। हालांकि, उनके लिए भी दिन भर काफी उतार-चढ़ाव वाला मुकाबला रहा।
हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। वरिष्ठ पार्टी नेता कुमारी सैलजा ने कहा कि पार्टी नेतृत्व को निराशाजनक परिणाम के सभी कारणों का आकलन करना चाहिए और जिम्मेदार लोगों की पहचान करनी चाहिए।
परिणामों की घोषणा से पहले ही पार्टी में मतभेद उभर आए थे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में चले चुनाव प्रचार से कथित तौर पर नाराज चल रहीं सैलजा ने कहा कि ‘‘यह हमेशा की तरह नहीं होगा’’ तथा उन्होंने आत्मनिरीक्षण का आह्वान किया।
सैलजा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हरियाणा में अब पहले जैसा सब कुछ नहीं होगा और मुझे पूरा विश्वास है कि कांग्रेस आलाकमान उन लोगों की पहचान करेगा जिन्होंने 10 साल बाद पार्टी को सत्ता में लाने के प्रयासों को असफल कर दिया।’’
पिछले विधानसभा चुनाव में ‘किंगमेकर’ बनकर उभरी जननायक जनता पार्टी(जजपा) को इस बार करारी हार मिली है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) भी इस बार कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाया। जजपा प्रमुख दुष्यंत चौटाला और इनेलो प्रमुख अभय सिंह चौटाला अपनी सीट हार गए।
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन 90 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीट के साथ सरकार बनाने को तैयार है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है। पार्टी ने 51 सीट पर चुनाव लड़ा था जिनमें से 42 पर उसे जीत मिली है, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 32 सीट पर चुनाव लड़ा था जिनमें से छह उसके खाते में गईं हैं।
उमर अब्दुल्ला ने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करके ‘सम्मानजनक काम’ करेंगे।
भाजपा 29 सीट के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जिसने 2014 के चुनावों में अपनी सर्वकालिक उच्चतम संख्या 25 को सुधारा है। भाजपा ने अपने मजबूत गढ़ जम्मू क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया था और केंद्र शासित प्रदेश में कुल 62 उम्मीदवार उतारे थे।
लेकिन भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख रवींद्र रैना अपनी नौशेरा सीट बचाने में विफल रहे। उन्हें इस क्षेत्र में भाजपा के ‘पोस्टर बॉय’ के रूप में जाना जाता है। केंद्र शासित प्रदेश में सात सीट निर्दलीयों के खाते में गई हैं जबकि पीडीपी को तीन सीटें मिलीं। हारने वाले चर्चित उम्मीदवारों में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी शामिल हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को जम्मू कश्मीर की डोडा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करने और पांचवें राज्य में आप का खाता खुलने पर पार्टी को बधाई दी।
डोडा विधानसभा क्षेत्र में जिला विकास परिषद (डीडीसी) सदस्य एवं आप उम्मीदवार मेहराज मलिक को 23,228 वोट मिले जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गजय सिंह राणा को 18,690 वोट मिले।
इंजीनियर रशीद के नेतृत्व वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी और जमात-ए-इस्लामी सहित अलगाववादी उम्मीदवार चुनावों में कोई प्रभाव डालने में असफल रहे।
हरियाणा में सुबह-सुबह आए रुझानों में कांग्रेस को बढ़त मिलने के बाद दिल्ली और चंडीगढ़ स्थित पार्टी कार्यालयों में जश्न का माहौल था, लेकिन अंततः अति आत्मविश्वास, गुटबाजी और एक समुदाय (जाट) पर कथित अत्यधिक निर्भरता के कारण पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ी।
भाजपा ने अपने अभियान को सुशासन, पारदर्शी प्रशासन, समान विकास, योग्यता के आधार पर रोजगार, किसानों, गरीबों और कमजोरों सहित सभी वर्गों के लिए कल्याणकारी पहलों पर केंद्रित किया। इसने चुनावों को हुड्डा के 2004-14 के शासन के दौरान ‘खर्ची-पर्ची’ (सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार और पक्षपात) और 2014 से उसके ‘‘स्वच्छ" प्रशासन के बीच मुकाबला’’ बताकर कांग्रेस पर पलटवार किया।
कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग के समक्ष हरियाणा में परिणामों को अद्यतन करने में ‘‘बिना कारण देरी’’ का मुद्दा उठाया और आग्रह किया कि वह अधिकारियों को सटीक आंकड़े अद्यतन करने का निर्देश दे ताकि ‘‘झूठी खबरों और दुर्भावनापूर्ण बयानों’’ का तुरंत मुकाबला किया जा सके।
लेकिन निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश से कहा कि आंकड़े जारी करने में देरी के ‘बेबुनियाद आरोप’ को पुष्ट करने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है। रमेश ने ही आयोग को इस संबंध में पत्र लिखा था।
निर्वाचन आयोग ने उनके आरोपों को ‘‘गैर-जिम्मेदाराना, निराधार और अपुष्ट दुर्भावनापूर्ण आख्यानों को परोक्ष रूप से विश्वसनीयता प्रदान करने का प्रयास’’ करार दिया।
जम्मू-कश्मीर में यह दिन उमर अब्दुल्ला के नाम रहा, जिन्होंने घाटी में बडगाम और गांदरबल दोनों जगहों से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वह इस साल संसदीय चुनाव हार गए थे।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी को खत्म करने की कोशिशें चल रही हैं। ‘‘लेकिन जो लोग हमें खत्म करना चाहते थे, उनका सफाया हो चुका है। हमारी ज़िम्मेदारियां बढ़ गई हैं।’’
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