देश की खबरें | अगर न्यायालय संतुष्ट नहीं है तो अपने ट्वीट के बारे में अतिरिक्त साक्ष्य पेश करना चाहते हैं भूषण

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एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, छह अगस्त अधिवक्ता एवं कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दायर की है। इसमें कहा गया है कि अगर उनके दो कथित अपमानजनक ट्वीट से न्यायपालिका की अवमानना नहीं होने के बारे में दी गयी उनकी दलीलों से शीर्ष अदालत संतुष्ट नहीं है तो वह इस संबंध में अतिरिक्त साक्ष्य पेश करना चाहते हैं।

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न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की सदस्यता वाली पीठ ने प्रशांत भूषण के इन ट्वीट को लेकर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी और 22 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। पीठ ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई पूरी करते हुये कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा।

इस पीठ के समक्ष भूषण की ओर से बहस करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने बुधवार को दलील दी थी कि ये ट्वीट न्यायाधीशों के व्यक्तिगत आचरण के बारे में थे और इन्होंने न्याय के प्रशासन बाधा नहीं डाली थी।

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अधिवक्ता कामिनी जायसवाल के माध्यम से दायर इस नयी अर्जी में भूषण ने कहा है, ‘‘अगर न्यायालय मेरे प्रारंभिक जवाब से संतुष्ट नहीं है और इस मामले में आगे कार्यवाही करना चाहता है तो मुझे शिकायतकर्ता महक माहेश्वरी की शिकायत की प्रति देने के बाद न्यायालय की अवमानना कानून, 1971 की धारा 17(5) के तहत और साक्ष्य पेश करने की अनुमति दी जाये।’’

अपने अनुरोध के समर्थन में फैसलों का हवाला देते हुये भूषण ने कहा है कि उन्होंने अपने ट्वीट के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिये प्रारंभिक जवाब दिया और इस संबंध में प्रतिपादित कानून सामने रखा कि उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस टिक नहीं सकता।

इस अर्जी में कहा गया है कि दूसरे ट्वीट का माहेश्वरी द्वारा दायर अवमानना याचिका में जिक्र नहीं है और इसलिए इसे उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिये प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के पास भेजा जाये।

अर्जी में आगे कहा गया है, ‘‘27 जून के ट्वीट के संदर्भ में स्वत: जारी नोटिस के मामले में कार्यवाही विजय कुर्ले प्रकरण के पैरा 39 के अनुसार इसे उचित पीठ के आबंटन के लिये प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया जाये। ’’

आवेदन में कहा गया है कि न्यायालय द्वारा दूसरे ट्वीट का संज्ञान लेने के कारण इसे अलग कार्यवाही के रूप में शुरू करने की आवश्यकता है।

न्यायालय ने बुधवार को सुनवाई पूरी करते हुये भूषण की अलग से दाखिल वह अर्जी खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने 22 जुलाई का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया था। इसी आदेश के तहत न्यायपालिका की कथित रूप से अवमानना करने वाले दो ट्वीट पर अवमानना कार्यवाही शुरू करते हुए नोटिस जारी किया गया था।

पीठ भूषण का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे के इस तर्क से सहमत नहीं थी कि अलग अर्जी में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की राय लिए बिना अवमानना कार्यवाही शुरू करने पर आपत्ति की गयी है और उसे दूसरी पीठ के पास भेजा जाये।

भूषण ने इस मामले में हलफनामे पर अपने 142 पेज के जवाब में अपने दो ट्वीट पर कायम रहते हुए कहा था कि विचारों की अभिव्यक्ति, ‘हालांकि मुखर, असहमत या कुछ लोगों के प्रति असंगत’ होने की वजह से अदालत की अवमानना नहीं हो सकती।

अनूप

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