यूनेस्को ने अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में जर्मनी की छह नई प्रविष्टियों को शामिल किया है. इनमें बर्लिन की टेक्नो संस्कृति प्रमुख है. इसका मकसद सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण है.बर्लिन की टेक्नो संस्कृति अब यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल हो गई है. यूनेस्को ने बुधवार को इसकी घोषणा की. जर्मनी की पांच अन्य संस्कृति और परंपराओं को भी इस सूची में जगह दी गई है.
टेक्नो एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक संगीत है. जर्मनी की राजधानी बर्लिन अपनी टेक्नो संस्कृति के लिए दुनियाभर में विख्यात है. हालांकि, बर्लिन के क्लब अभी भी कोविड महामारी से पैदा हुई परेशानियों को भुगत रहे हैं.
क्लब कमीशन बर्लिन के क्लबों और सांस्कृतिक संरक्षकों का एक नेटवर्क है. इसके कार्यकारी बोर्ड के सदस्य लुत्स लाइसनरिंग ने डीडब्ल्यू से बातचीत की. उन्होंने कहा कि यह बर्लिन के टेक्नो प्रोड्यूसर्स, कलाकारों, क्लब संचालकों और कार्यकम आयोजकों के लिए एक नया मुकाम है.
क्लब कमीशन बर्लिन की क्लब संस्कृति के संरक्षण और विकास का भी समर्थन करता है. लुत्स कहते हैं, "यह फैसला हमें यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि क्लब संस्कृति को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाए. एक ऐसा क्षेत्र जिसे संरक्षण और मदद की जरूरत है.”
क्या होती हैं अमूर्त सांस्कृतिक विरासत?
दस साल पहले गणितज्ञ और संगीतज्ञ हंस कॉस्टो को बर्लिन की टेक्नो संस्कृति को सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करवाने का विचार आया. बाद में लव परेड के सह-संस्थापक डॉक्टर मोट्टे और गैर-लाभकारी संगठन ‘रेव द प्लैनेट' की टीम ने इसे संभव बनाया. उन्होंने नवंबर 2022 में इसके लिए यूनेस्को में आवेदन किया था.
यूनेस्को के मुताबिक, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का तात्पर्य मुख्य रूप से अभिव्यक्ति के सांस्कृतिक रूपों से है, जो सीधे तौर पर लोगों की रचनात्मकता और परंपराओं से जुड़े हैं. ये सांस्कृतिक रूप लगातार विकसित हो रहे हैं और इन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया जा रहा है.
इनमें ज्ञान, कौशल, अभ्यास, प्रथाएं और संगीत, नृत्य एवं रंगमंच जैसी प्रदर्शन कलाएं शामिल हैं. जिन्हें संरक्षित और जीवित रखा जाना चाहिए. लुत्स लाइसनरिंग कहते हैं, "क्राफ्टवेर्क, अफ्रीकी-अमेरिकी डीजे और डेट्रॉइट के ‘अंडरग्राउंड रेसिस्टेंस' जैसे प्रोड्यूसर्स ने टेक्नो संस्कृति की शुरुआत और इसके प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.”
जर्मनी की पांच एंट्रियां कौन सी हैं?
जर्मन यूनेस्को आयोग, संस्कृति मंत्रियों की सभा और जर्मनी की संस्कृति एवं मीडिया आयुक्त क्लाउडिया रोथ ने बर्लिन और पुरानी राजधानी बॉन में छह नई संस्कृतियों और परंपराओं को शामिल करने की घोषणा की.
बर्लिन की टेक्नो संस्कृति के साथ, फिनस्टरवाल्डे गायन परंपरा को भी शामिल किया गया है. बवेरिया में होने वाली सर्दियों की परेड ‘क्रिषजियोन पेर्खटेनलाउफ' को भी जगह दी गई है. इसमें लोग प्यारे राक्षस की पोशाक पहनकर शामिल होते हैं.
हैसे राज्य की खास सिलाई शैली ‘श्वैल्मर वाइसटिकेराई', ‘एपल साइडर विएज', और सैक्सोनी में होने वाले पर्वतारोहण को भी सूची में शामिल किया गया है. यूनेस्को की इस लिस्ट में अब तक जर्मनी के 150 नाम अपनी जगह बना चुके हैं.
रोथ ने कहा कि चाहे उपसंस्कृति हो या पारंपरिक शिल्प कौशल, यह सब हमारे देश की सांस्कृतिक समृद्धि का हिस्सा है. वहीं, जर्मन यूनेस्को आयोग के उपाध्यक्ष क्रिस्टोफ वुल्फ ने कहा कि हमारी जीवित विरासत समुदाय बनाती है और लोगों को हर दिन साथ लेकर आती है.