भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने प्राथमिकता क्षेत्र रिण श्रेणी का दायरा बढ़ा दिया है. स्टार्ट-अप को भी बैंक रिण की प्राथमिक श्रेणी में शामिल किया गया है. इसके तहत स्टार्ट-अप को 50 करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावा इसमें किसानों को सौर संयंत्रों तथा कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्र की स्थापना के लिए भी कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा. रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) दिशानिर्देशों की वृहद समीक्षा के बाद इसे उभरती राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुकूल संशोधित किया गया है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि सभी अंशधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद अब इसके तहत समावेशी विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
रिजर्व बैंक की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘संशोधित पीएसएल दिशानिर्देशों से कर्ज से वंचित क्षेत्रों तक ऋण की पहुंच को बेहतर किया जा सकेगा. इससे छोटे और सीमान्त किसानों तथा समाज के कमजोर वर्गों को अधिक कर्ज उपलब्ध कराया जा सकेगा. साथ ही इससे अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य ढांचे को भी कर्ज बढ़ाया जा सकेगा.’’ अब पीएसएल में स्टार्ट-अप को बैंकों से 50 करोड़ रुपये तक का वित्तपोषण उपलब्ध कराया जा सकेगा. विज्ञप्ति में कहा गया है कि पीएसएल में जो नई श्रेणियां जोड़ी गई हैं उनमें किसानों को सौर बिजली संयंत्रों तथा कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्रों के लिए कर्ज देना भी शामिल है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि संशोधित दिशानिर्देशों के तहत प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के प्रवाह में क्षेत्रीय असमानता के मुद्दे को भी हल करने का प्रयास किया गया है. यह भी पढ़े: RBI: भारतीय रिजर्व बैंक ने 2019-20 में 2,000 के नए नोट नहीं छापे- रिपोर्ट
केंद्रीय बैंक ने कहा कि ‘चयनित जिलों’ के लिए बढ़ा हुआ प्राथमिकता क्षेत्र ऋण देने के लिए उन्हें अधिक भारांश दिया गया है. इन जिलों में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण का प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम है. रिजर्व बैंक ने कहा कि छोटे और सीमान्त किसानों तथा कमजोर वर्गों के लिए तय लक्ष्य को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा. केंद्रीय बैंक ने कहा कि किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) तथा किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) के लिए अधिक ऋण की सीमा तय की गई है. नए नियमों के तहत अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य ढांचे (आयुष्मान भारत के तहत परियोजनाओं सहित) ऋण की सीमा को दोगुना किया गया है.
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