जरुरी जानकारी | बजट में नये कर लगाने से बचें, विवादों में फंसे कर के निपटान का ईमानदार प्रयास हो : एसबीआई रिपोर्ट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. सरकार को आगामी आम बजट में नये कर लगाने से बचना चाहिये और पुराने विवादों में फंस कर मामलों को निपटाने के लिये ईमानदारी से प्रयास किए जाने चाहिये। एसबीआई अर्थशास्त्रियों ने मंगलवार को यह बात कही।
मुंबई, 12 जनवरी सरकार को आगामी आम बजट में नये कर लगाने से बचना चाहिये और पुराने विवादों में फंस कर मामलों को निपटाने के लिये ईमानदारी से प्रयास किए जाने चाहिये। एसबीआई अर्थशास्त्रियों ने मंगलवार को यह बात कही।
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कोविड19 महामारी से सबक लेना होगा और स्वास्थ्य क्षेत्र में ढाई लाख करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त खर्च करना होगा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान इस क्षेत्र में जीडीपी का मात्र एक प्रतिशत ही खर्च किया।
इन अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में कहा है, ‘‘एक सुझाव है। बजट में कोई नया कर नहीं होना चाहिये। हमें कर अवकाश वाला बजट पेश करना चाहिये जिसमें त्वरित वित्तीय सहयोग के लिये सावधानी पूर्वक तैयार की गई नीतियों को शामिल किया जाना चाहिये। बजट में एक बड़ा कदम यह हो सकता है कि सरकार कर विवाद के मामलों को हमेशा के लिये निपटाने का ईमानदार प्रयास करे।’’
इन अर्थशास्त्रियों के मुताबिक वित्त वर्ष 2018- 19 तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कुल मिलाकर 9.5 लाख करोड़ रुपये का कर विवादों में फंसा हुआ था। इसमें 4.05 लाख करोड़ रुपये निगम कर और 3.97 लाख करोड़ रुपये आयकर का था। इसी तरह 1.54 लाख करोड़ रुपये के वस्तु एवं सेवा कर के मामले विवाद में थे।
नोट में संकेत दिया गया है कि कोविड19 टीकाकरण के लिए कोई उपकर लगाया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि ऐसे उपकर को केवल एक साल के लिये ही रखा जाना चाहिये। वहीं वरिष्ठ नागिरकों के लिये बचत में कुछ कर प्रोत्साहन दिये जा सकते हैं। इसका राजकोषीय प्रभाव मामूली होगा।
केन्द्र और राज्यों की राजकोषीय स्थिति के बारे में इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान केन्द्र और राज्यों का कुल राजकोषीय घाटा जीडीपी का 12.1 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। इसमें केन्द्र सरकार का अकेले का राजकोषीय घाटा 7.4 प्रतिशत होगा।
एक फरवरी को पेश होने वाले 2021- 22 के बजट में ऐसी उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्रालय का राजकोषीय घाटे को कम करते हुये 5.2 प्रतिशत पर लाने पर जोर रहेगा। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि नये बजट में खर्च में वृद्धि 6 प्रतिशत तक सीमित रखी जायेगी। प्राप्तियों में 25 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रखा जा सकता है। विनिवेश से सकल प्राप्ति का लक्ष्य दो लाख करोड़ रुपये रखा जा सकता है।
नोट में कहा गया है कि राज्यों की वित्तीय स्थिति भी तनाव में है। हालांकि उनकी स्थितित शुरू में जताई गयी आशंकाओं से कुछ बेहतर दिखती है। जीएसटी के तहत केन्द्र से राज्यों को किये जाने वाले भुगतान का आंकड़ा 25,000 करोड़ रुपये रह सकता है। यह मानते हुये कि आईजीएसटी के तौर पर संग्रह राशि का 50 प्रतिशत मार्च 2021 तक राज्यों को वितरित कर दिया जायेगा। इसके बाद यह वित्त वर्ष कुल मिलाकर राज्यों के लिए तीन लाख करोड़ रुपये के कर राजस्व की कमी के साथ समाप्त होगा।
बैंकिंग क्षेत्र के बारे में इस नोट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी को घटाकर 51 प्रतिशत पर लाने के लिये सरकार को स्पष्ट योजना तैयार करनी चाहिये। साथ ही बैंकों के लिये कराधान पर भी स्पष्टता होनी चाहिये।
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