नयी दिल्ली, एक सितंबर दिल्ली पुलिस ने बुधवार को कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम ने अपने कथित भड़काऊ भाषणों में से एक की शुरूआत ‘अस्सलामो अलैकुम’ के साथ की थी जो दर्शाता है कि यह एक विशेष समुदाय को संबोधित किया गया था।
पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने 2019 में दो विश्वविद्यालयों में उनके द्वारा दिए गए भाषणों के लिए इमाम के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले में बहस के दौरान ये टिप्पणियां की। इमाम ने असम और शेष पूर्वोत्तर को भारत से ‘‘काटने’’ की कथित तौर पर धमकी दी थी।
सुनवाई के दौरान, प्रसाद ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत को अवगत कराया कि इमाम ने पूरी तरह से अराजकता पैदा करने का प्रयास किया और संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के विरोध में विभाजनकारी भाषण दिए।
एसपीपी ने अलीगढ़ में जेएनयू छात्र द्वारा दिए गए 16 जनवरी के भाषण को पढ़ा और कहा, ‘‘वह (शरजील इमाम) इस भाषण को ‘अस्सलामो अलैकुम’ कहकर शुरू करते हैं, जो दर्शाता है कि यह केवल एक समुदाय के लिए था।’’ प्रसाद ने कहा, ‘‘कार्रवाई करने के लिए बुलाए गए लोग भी एक समुदाय के थे। भाषण निश्चित रूप से विभाजनकारी था। यह बड़े पैमाने पर आम जनता के लिए नहीं बल्कि एक विशिष्ट समुदाय के लिए बनाया गया था। वह पूरी तरह से अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।’’
इमाम ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिए थे। वह जनवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं।
दिल्ली पुलिस ने मामले में इमाम के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने केंद्र सरकार के प्रति घृणा, अवमानना और असंतोष को भड़काने वाले कथित भाषण दिए और लोगों को उकसाया जिसके कारण दिसंबर 2019 में हिंसा हुई।
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