देश की खबरें | सेना ने यथास्थिति बदलने के चीनी प्रयास को बहादुरी से विफल किया: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद में कहा कि चीनी सैनिकों ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांगत्से क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को ''एकतरफा'' ढंग से बदलने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने ‘‘दृढ़ता से’’ कार्रवाई कर उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
नयी दिल्ली, 13 दिसंबर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद में कहा कि चीनी सैनिकों ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांगत्से क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को ''एकतरफा'' ढंग से बदलने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने ‘‘दृढ़ता से’’ कार्रवाई कर उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
सिंह ने लोकसभा और राज्यसभा में समान बयान में कहा कि झड़प में किसी भारतीय सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है और न ही कोई भारतीय सैनिक गंभीर रूप से घायल हुआ है। उन्होंने कहा कि इसमें दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को चोटें आई हैं।
चीन के साथ सीमा मुद्दे से निपटने के सरकार के तरीके पर विपक्ष द्वारा सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संवाददाताओं से कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में रहने तक कोई भारत की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं कर सकता।
सिंह ने अपने बयान में कहा, "नौ दिसंबर को, पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांगत्से क्षेत्र में एलएसी को पार करने और एकतरफा रूप से यथास्थिति बदलने की कोशिश की। चीन की कोशिश का हमारे सैनिकों ने दृढ़ता से मुकाबला किया।"
उन्होंने कहा, ‘‘इसके चलते झड़प हुई, जिसमें भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोका और उसे अपनी चौकियों पर लौटने के लिए मजबूर कर दिया। झड़प में दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को चोटें आईं।"
सिंह का बयान भारतीय सेना द्वारा बयान जारी किए जाने के एक दिन बाद आया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस सदन को यह बताना चाहता हूँ, कि हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है, और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है।’’
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस घटना के पश्चात क्षेत्र के स्थानीय कमांडर ने 11 दिसंबर 2022 को अपने चीनी समकक्ष के साथ स्थापित व्यवस्था के तहत एक ‘फ्लैग मीटिंग’ की और इस घटना पर चर्चा की।
सिंह ने कहा, "चीनी पक्ष को इस तरह के कार्यों से बचने और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कहा गया है। इस मुद्दे को राजनयिक चैनलों के माध्यम से भी चीनी पक्ष के साथ उठाया गया है।"
रक्षा मंत्री ने संसद को आश्वासन दिया कि भारतीय बल देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और वे इस पर किए जाने वाले किसी भी प्रयास को विफल करना जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि यह पूरा सदन हमारे सैनिकों को उनके बहादुर प्रयास में समर्थन देने के लिए एकजुट रहेगा।"
संसद में अपने बयान से पहले रक्षा मंत्री ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख मनोज पांडे और कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।
सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिक कांटेदार छड़ों और बांस के डंडों से लैस थे तथा दोनों पक्षों के सैनिकों को आमने-सामने की लड़ाई में चोटें आईं।
संबंधित घटनाक्रम में, थलसेना और भारतीय वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों ने घटना के मद्देनजर लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी पर अपनी समग्र अभियानगत तैयारियों की अलग-अलग समीक्षा की, जो एक वर्ष से अधिक समय में इस तरह की पहली घटना है।
उधर, बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने नौ दिसंबर की घटना पर विशेष रूप से टिप्पणी किए बिना कहा कि सीमा पर स्थिति "सामान्यत: स्थिर" है और दोनों पक्षों ने सीमा संबंधी मुद्दों पर सुचारू संपर्क बनाए रखा है।
हालांकि, इसके कुछ घंटे बाद चीन की सेना ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) की पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल लोंग शाओहुआ ने दावा किया कि नौ दिसंबर की झड़प तब हुई थी जब एलएसी पर चीन की तरफ के क्षेत्र में चीनी सैनिकों की नियमित गश्त को भारतीय सैनिकों ने अवरुद्ध कर दिया।
इस बीच, कांग्रेस ने तवांग में झड़प पर रक्षा मंत्री के बयान को अधूरा बताया और सरकार पर देश से सच्चाई छिपाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस प्रवक्ता और लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई तथा पार्टी नेता पवन खेड़ा ने भी सरकार पर चीन के साथ कूटनीतिक विफलता का आरोप लगाते हुए दावा किया कि भारत ने दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी पूर्व-प्रतिष्ठित स्थिति खो दी है।
दोनों नेताओं ने मांग की कि सरकार को सीमा की स्थिति और चीन के साथ संबंधों पर विस्तृत चर्चा के लिए सहमत होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जून 2020 में की गई इस टिप्पणी कि "किसी ने भी भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है और न ही किसी ने इसके क्षेत्र पर कब्जा किया है" ने चीन को इस तरह का दुस्साहस करने के लिए उकसाया है।
गोगोई ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘राजनाथ सिंह ने इतनी देर से बयान क्यों दिया क्योंकि घटना नौ दिसंबर की है। यह कल संसद में क्यों नहीं दिया गया? वे क्या छिपा रहे हैं? यह सरकार देश से सच्चाई छिपाना चाहती है और हमारी मांग पहले दिन से यही रही है कि देश को सच बताया जाए।’’
इस बीच, घटनाक्रम से परिचित लोगों ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने पिछले हफ्ते तवांग सेक्टर में एलएसी पर चीन की तरफ बीजिंग की बढ़ती हवाई गतिविधियों के चलते लड़ाकू विमान उड़ाए और बल अब स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। भारतीय वायुसेना नौ दिसंबर की झड़प से पहले ही हरकत में आ गई थी।
उन्होंने कहा कि कई चीनी ड्रोन ने एलएसी के करीब उड़ान भरी, जिससे भारतीय वायुसेना को अपने जेट विमानों को स्थिति से निपटने के लिए हरकत में लाने और समग्र युद्ध तत्परता बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
भारतीय और चीनी सैनिकों का पिछले साल अक्टूबर में भी यांगत्से के पास थोड़ी देर के लिए आमना-सामना हुआ था तथा स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद इसे सुलझा लिया गया था।
नौ दिसंबर की घटना जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण संघर्ष के बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई पहली बड़ी झड़प है।
इसके साथ ही यह चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सत्ताधारी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की पांच साल में एक बार होने वाले अधिवेशन में अभूतपूर्व रूप से तीसरी बार पांच साल के कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद सीमा पर पहली बड़ी घटना है।
शुक्रवार की झड़प ऐसे समय हुई, जब दोनों देश मई 2020 में पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद शुरू हुए पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के बाद से विभिन्न बिंदुओं पर इसे हल करने के लिए कमांडर स्तर की 16 दौर की बातचीत कर चुके हैं।
पिछले दौर की वार्ता सितंबर में हुई थी, जिसके दौरान दोनों पक्ष गोगरा-हॉट स्प्रिंग क्षेत्र के पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से अपने सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हुए थे।
भारत लगातार यह कहता रहा है कि एलएसी पर अमन-चैन द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
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