मां की मृत्यु के बाद सशस्त्र बल के जवान ने की 1,100 किलोमीटर की परेशानी भरी यात्रा

वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में शामिल हुए जवान संतोष यादव (30 वर्ष) बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित धनौरा शिविर में तैनात हैं। वह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के सीकर गांव के निवासी हैं। यादव छत्तीसगढ़ में कई नक्सल विरोधी अभियान में शामिल हो चुके हैं।

जमात

रायपुर, 12 अप्रैल लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ में सशस्त्र बल के एक जवान ने मां की मृत्यु के बाद मालगाड़ी, ट्रक, नाव सहित पैदल करीब 1,100 किलोमीटर की यात्रा कर अपने घर पहुंचा।

वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में शामिल हुए जवान संतोष यादव (30 वर्ष) बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित धनौरा शिविर में तैनात हैं। वह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के सीकर गांव के निवासी हैं। यादव छत्तीसगढ़ में कई नक्सल विरोधी अभियान में शामिल हो चुके हैं।

यादव बताते हैं कि इस महीने की चार तारीख को वह अपने शिविर में थे। इस दौरान पिता का फोन आया तब मां की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली। उन्होंने मां को अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया।

उन्होंने बताया, अगले दिन मां को वाराणसी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया और शाम को उनकी मृत्यु की खबर मिली।

यादव ने बताया मैं अपनी मां की मृत्यु के बाद गांव पहुंचना चाहता था क्योंकि छोटा भाई और एक विवाहित बहन दोनों मुंबई में रहते हैं तथा लॉकडाउन के बीच गांव पहुंचना उनके लिए संभव नहीं था। मैं अपने पिता को ऐसी स्थिति में अकेला नहीं छोड़ सकता था।

वह बताते हैं कि उनेक कमांडिंग ऑफिसर ने उसे छुट्टी तो दे दी लेकिन लॉकडाउन के कारण परिवहन की सुविधा नहीं थी।

यादव ने कहा, वह बहुत लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सके और कमांडेंट से मंजूरी पत्र मिलने के बाद सात अप्रैल की सुबह अपने गांव सीकर के लिए रवाना हो गए।

उन्होंने बताया कि वह सबसे पहले राजधानी रायपुर पहुंचना चाहते थे जिससे आगे की यात्रा के लिए कुछ व्यवस्था हो सके।

यादव के मुताबिक सबसे पहले उसके एक साथी ने उन्हें बीजापुर तक पहुंचाया। बाद में उन्होंने जगदलपुर पहुंचने के लिए धान से भरे ट्रक पर लिफ्ट ली। सुरक्षा बल के एक जवान के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्र में यह यात्रा आसान नहीं थी।

उन्होंने वहां लगभग दो घंटे तक इंतजार किया और बाद में एक मिनी ट्रक ने उन्हें रायपुर से लगभग दो सौ किलोमीटर पहले कोंडागांव तक पहुंचाया।

यादव बताते हैं कि कोंडागांव में उन्हें पुलिस कर्मियों ने रोक लिया तब उन्होंने अपनी स्थिति बताई। सौभाग्य से उनके एक परिचित अधिकारी ने दवाइयों वाले एक वाहन से रायपुर तक पहुंचने में मदद की।

वह कहते हैं कि इसके बाद रायपुर से अपने गांव के निकटतम रेलवे स्टेशन चुनार तक का सफर आठ माल गाड़ियों से की। इसके बाद वह पांच किलोमीटर पैदल चलकर गंगा नदी तक पहुंचे और नाव से गंगा नदी पार कर 10 अप्रैल को अपने गांव पहुंचे।

उन्होंने बताया कि इस यात्रा के दौरान उन्हें कई स्थानों पर लॉकडाउन के कारण पुलिस और रेलवे के अधिकारियों कर्मचारियों ने रोका लेकिन वह किसी तरह आगे बढ़ते रहे।

यादव ने बताया कि उन्होंने इस यात्रा के लिए रेल मार्ग का चुनाव इसलिए किया क्योंकि उनके गांव के लगभग 78 लोग रेलवे में काम कर रहे है। उन्हें इस बात की जानकारी थी कि वह उनके लिए मददगार हो सकते हैं।

यादव चुनौतियों का सामना करने के बाद किसी तरह अपनी मां की मृत्यु के बाद पिता के पास पहुंच सके। हालांकि परेशानियों के बावजूद वह लॉकडाउन का समर्थन करते हैं क्योंकि यह देश के लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। साथ ही वह प्रार्थना करते हैं कि किसी को भी इस दौरान ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।

गौरतलब है कि पिछले दिनों तेलंगाना के निजामाबाद में एक मां ने लॉकडाउन की वजह से फंसे अपने बेटे को लाने के लिए स्कूटी से 1400 किलोमीटर की लंबी यात्रा की थी।

संजीव

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