आंध्र सरकार ने SC और ST उद्यमियों के लिए विद्युत शुल्क-निवेश सब्सिडी की नई योजना की शुरू

आंध्र प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लाभ के लिए विद्युत शुल्क और निवेश सब्सिडी में उच्च प्रतिपूर्ति प्रदान करने की एक योजना शुरू की. दलित समुदायों के भावी उद्यमियों के लिए कुछ भी सार्थक नहीं होने की आलोचनाओं के बीच मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने सोमवार को उनके एवं उनके दिवंगत पिता के नाम पर जगनन्ना वाईएसआर बाडुगु विकासम शुरू की.

वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी (Photo Credits: IANS)

अमरावती/आंध्र प्रदेश, 28 अक्टूबर: आंध्र प्रदेश सरकार (Andhra Pradesh) ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लाभ के लिए विद्युत शुल्क और निवेश सब्सिडी में उच्च प्रतिपूर्ति प्रदान करने की एक योजना शुरू की. दस अगस्त को लागू की गई औद्योगिक नीति 2020-23 में दलित समुदायों के भावी उद्यमियों के लिए कुछ भी सार्थक नहीं होने की आलोचनाओं के बीच मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी (Y. S. Jaganmohan Reddy) ने सोमवार को उनके एवं उनके दिवंगत पिता के नाम पर जगनन्ना वाईएसआर बाडुगु विकासम शुरू की. इस योजना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए प्रति यूनिट बिजली शुल्क की प्रतिपूर्ति में 25 पैसे की वृद्धि, निवेश सब्सिडी में 10 प्रतिशत की वृद्धि और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए ब्याज सब्सिडी में नौ प्रतिशत की वृद्धि की गयी .

बाडुगू विकासम के तहत विनिर्माण इकाइयों की स्थापना करने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को 45 प्रतिशत की निवेश सब्सिडी मिलेगी जिसकी सीमा एक करोड़ रुपये होगी. योजना के दस्तावेजों के मुताबिक सेवा क्षेत्र और ट्रांसपोर्ट से जुड़ी इकाइयों के लिए सब्सिडी की राशि 75 लाख रुपये है. औद्योगिक नीति में एमएसएमई के लिए जो ब्याज सब्सिडी तीन प्रतिशत तय की गई थी, उसमें बाडुगु विकासम के तहत नौ प्रतिशत की वृद्धि की गई है. इसी तरह बिजली लागत प्रतिपूर्ति बढ़कर 1.50 रुपये प्रति इकाई हो गई.

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योजना के अनुसार सूक्ष्म इकाइयों की शुरुआत करने वाले उद्यमियों के लिए 25 प्रतिशत आरंभिक पूंजी सहायता प्रदान की जाएगी. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए एक अलग औद्योगिक नीति की आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इन समुदायों के बीच उद्यमिता में कोई बड़ी तेजी नहीं आई है.

उन्होंने कहा,"2008-09 से 2020-21 तक अनुसूचित जाति के लिए प्रतिवर्ष औसतन 50 करोड़ रुपये और अनुसूचित जनजाति के लिए 15 करोड़ रुपये प्रदान किए गए थे. इससे इन समुदायों के बीच उद्यमिता का विकास नहीं हुआ है." जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि नई नीति से सामाजिक रूप से वंचित समुदायों के बीच विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा ताकि अधिक आर्थिक प्रभाव पैदा किया जा सके.

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