देश की खबरें | महाराष्ट्र की एक एजुकेशन सोसाइटी ने मेडिकल उम्मीदवारों को 65 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की : ईडी
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. महाराष्ट्र में कोल्हापुर स्थित श्री छत्रपति शिवाजी एजुकेशन सोसाइटी (एससीएसईएस) के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और अन्य आरोपियों ने ट्रस्ट द्वारा संचालित एक कॉलेज में प्रवेश के लिए मेडिकल उम्मीदवारों से 65 करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किए थे। यह दावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने आरोप-पत्र में किया है।
मुंबई, 23 जुलाई महाराष्ट्र में कोल्हापुर स्थित श्री छत्रपति शिवाजी एजुकेशन सोसाइटी (एससीएसईएस) के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और अन्य आरोपियों ने ट्रस्ट द्वारा संचालित एक कॉलेज में प्रवेश के लिए मेडिकल उम्मीदवारों से 65 करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किए थे। यह दावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने आरोप-पत्र में किया है।
जांच एजेंसी ने हाल ही में धनशोधन मामले में दायर आरोप-पत्र में दावा किया है कि 350 मेडिकल उम्मीदवारों से एकत्र किए गए धन का इस्तेमाल संपत्ति खरीदने या आरोपी द्वारा निजी इस्तेमाल के लिए किया गया था।
ईडी के मुताबिक, एससीएसईएस ने एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) या महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस से जरूरी अनुमति नहीं ली थी, इसके बावजूद उसने यह रकम जमा की थी।
जांच एजेंसी एससीएसईएस द्वारा मेडिकल उम्मीदवारों के साथ कथित ठगी मामले की जांच कर रही है, जिसमें ट्रस्ट के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष महादेव देशमुख और उनके भाई एवं तत्कालीन सचिव अप्पासाहेब को गिरफ्तार किया गया है।
देशमुख बंधु फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
जांच एजेंसी ने महादेव देशमुख और तीन पूर्व पदाधिकारियों के खिलाफ विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष अपना आरोप-पत्र दायर किया।
आरोप-पत्र के अनुसार, महादेव देशमुख ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर 2011 से 2016 तक लगभग 350 भोले-भाले छात्रों को धोखा दिया और एससीएसईएस द्वारा संचालित ‘इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च’ (आईएमएसआर) नामक कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश देने के बहाने लगभग 65.70 करोड़ रुपये एकत्र किए।
इसमें कहा गया है कि छात्रों को न तो प्रवेश दिया गया और न ही उनकी राशि वापस की गई।
इस बीच, एससीएसईएस के वर्तमान निदेशक अरुण गोरे ने ईडी को दिए अपने बयान में दावा किया है कि उनके चैरिटेबल एजुकेशनल ट्रस्ट के निदेशक के रूप में शामिल होने के बाद, कई छात्रों ने अपनी शिकायतों के साथ नए बोर्ड से संपर्क किया था।
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