नयी दिल्ली, 25 सितंबर कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि गुजरात में निजी बंदरगाहों के स्वामित्व से संबंधित रियायत अवधि में अदाणी समूह को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया गया।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक बार फिर यह कहा कि अदाणी समूह के मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन होना चाहिए।
अमेरिकी संस्था ‘हिंडेनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट में अदाणी समूह पर अनियमितताओं के आरोप लगाए गए थे और इसको लेकर कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर निरंतर हमले कर रही है। अदाणी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘गुजरात सरकार निजी बंदरगाहों को ‘बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर’ (बूट) के आधार पर 30 साल की रियायत अवधि प्रदान करती है, जिसके बाद स्वामित्व गुजरात सरकार को हस्तांतरित हो जाता है। इस मॉडल के आधार पर, अदानी पोर्ट्स का वर्तमान में मुंद्रा, हजीरा और दाहेज बंदरगाहों पर नियंत्रण है। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, अदानी पोर्ट्स ने गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) से इस रियायत अवधि को और 45 साल बढ़ाकर कुल 75 साल करने का अनुरोध किया।’’
उन्होंने कहा कि यह 50 साल की अधिकतम स्वीकार्य अवधि से बहुत अधिक था, लेकिन जीएमबी ने गुजरात सरकार से ऐसा करने का अनुरोध करने में जल्दबाजी की।
उन्होंने दावा किया, ‘‘इस दिन-दहाड़े लूट के कम से कम दो गंभीर परिणाम हैं। अदाणी पोर्ट्स गुजरात के बंदरगाह क्षेत्र पर एकाधिकार हासिल कर लेगा, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचेगा और आम आदमी के लिए कीमतें बढ़ेंगी। अदाणी पोर्ट्स का मूल्यांकन बढ़ेगा और उधार लेने की लागत कम होगी। पुनर्वार्ता या प्रतिस्पर्धी बोली के लिए प्रक्रिया को खोलने में विफल रहने से गुजरात सरकार को राजस्व में करोड़ों रुपये का नुकसान होगा।’’
रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा कि मोदी है तो अदाणी के लिए सब कुछ मुमकिन है!
उन्होंने कहा कि इसलिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच जरूरी है।
हक
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