चंडीगढ़, सात जुलाई कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह ने अपनी मां के इस बयान से दूरी बना ली है कि उनका बेटा खालिस्तान समर्थक नहीं है।
खडूर साहिब से सांसद सिंह की ओर से शनिवार रात जारी बयान में कहा गया है, “कल जब मुझे माता जी के बयान के बारे में पता चला तो बहुत दुख हुआ। हालांकि मेरा मानना है कि माताजी ने अनजाने में यह बयान दिया है, फिर भी मेरे परिवार या किसी समर्थक की ओर से ऐसा बयान नहीं दिया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा, ‘‘खालसा राज का सपना देखना कोई अपराध नहीं बल्कि गर्व की बात है। इस सपने को पूरा करने के लिए लाखों सिखों ने अपने प्राणों की आहुति दी और हम इस रास्ते से हटने के बारे में नहीं सोच सकते।’’
'भाई अमृतपाल सिंह का आधिकारिक बयान' शीर्षक के साथ जारी बयान में कहा गया है, “मैंने कई बार मंचों से कहा है कि अगर मुझे कभी 'पंथ' और परिवार के बीच किसी को चुनना पड़ा तो मैं हमेशा 'पंथ' को ही चुनूंगा।”
शुक्रवार को जब सिंह ने लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ली थी, तब उनकी मां बलविंदर कौर ने अमृतसर में पत्रकारों से कहा था कि उनका बेटा खालिस्तानी समर्थक नहीं है। उन्होंने मांग की थी कि सिंह को तुरंत रिहा किया जाए, ताकि वह उन मुद्दों पर काम कर सके, जिन पर उसने चुनाव लड़ा था।
बाद में कौर ने एक वीडियो संदेश में कहा था कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।
जेल में बंद 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख सिंह ने अपने बयान में यह भी कहा, “यह एक ऐतिहासिक घटना जैसा है, जिसमें बंदा सिंह बहादुर के साथ आए सिख शहीद हो रहे थे, तब 14 वर्षीय एक युवक की मां ने यह कहकर उसे बचाने की कोशिश की कि वह सिख नहीं है। तब युवक ने कहा कि अगर यह महिला कहती है कि मैं सिख नहीं हूं तो मैं घोषणा करता हूं कि यह मेरी मां नहीं है।”
बयान में कहा गया है, "मैं अपने परिवार को चेतावनी देता हूं कि वह सिख राज पर समझौता करने के बारे में कभी न सोचे, इसके खिलाफ बोलना तो दूर की बात है। संगत के साथ बातचीत करते समय ऐसी कोई गलती नहीं होनी चाहिए।”
सिंह की मां ने शुक्रवार को एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था, “वह खालिस्तानी समर्थक नहीं है। पंजाब के अधिकारों की बात करके और पंजाब के युवाओं को (नशे से) बचाने से क्या कोई खालिस्तान का समर्थक बन सकता है।”
कौर ने कहा था, "उसने संविधान के दायरे में चुनाव लड़ा और शपथ ली। किसी को ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए। वह पंजाब के मुद्दे उठाएगा और युवाओं को (नशे से) बचाएगा।”
सिंह और कश्मीरी नेता शेख अब्दुल रशीद को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए पैरोल दी गई थी। उन्होंने शुक्रवार को शपथ ली थी।
उन्होंने सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष के कक्ष में शपथ ली थी।
सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत आने वाले अपराध के लिए असम के डिब्रूगढ़ जिले की जेल में बंद हैं। शपथ ग्रहण के लिए उन्हें चार दिन की हिरासती पैरोल पर असम से दिल्ली लाया गया था।
हाल में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले सिंह ने पंजाब की खडूर साहिब सीट से कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा को 1,97,120 वोटों के अंतर से हराया है।
खुद को मारे जा चुके खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का अनुयायी बताने वाले सिंह को नौ साथियों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में रखा गया है।
सिंह को पिछले साल 23 फरवरी को अजनाला के एक थाने में घुसने और अपने एक सहयोगी को हिरासत से छुड़ाने के प्रयास में पुलिसकर्मियों से झड़प करने, तलवारें और हथियार लहराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
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