जरुरी जानकारी | अमित शाह ने सहकारी समितियों में और सुधार की वकालत की

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को सहकारी समितियों में सुधार की वकालत करते हुए कहा कि एक ही व्यक्ति को साल दर साल नहीं चुना जा सकता है और चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाना होगा।

नयी दिल्ली, नौ अगस्त गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को सहकारी समितियों में सुधार की वकालत करते हुए कहा कि एक ही व्यक्ति को साल दर साल नहीं चुना जा सकता है और चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाना होगा।

सरकार के ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) मंच पर ऑनलाइन तरीके से सहकारी समितियों को शामिल करने के लिए आयोजित कार्यक्रम के बाद शाह ने यह बात कही।

शाह ने सहकारी क्षेत्र के विस्तार और आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह एक ‘उपेक्षित’ क्षेत्र रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘सहकारिता क्षेत्र में तेजी से बदलाव लाने की जरूरत है।’’

उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद सहकारिता के शीर्ष अधिकारियों से कहा, ‘‘हमें बदलना होगा, नहीं तो लोग हमें बदल देंगे।’’

शाह ने सहकारी क्षेत्र के सभी क्षेत्रों, खासकर चुनाव प्रक्रिया सहित तीन क्षेत्रों में पारदर्शिता लाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। हम इसमें बदलाव लाना चाहेंगे।’’

शाह ने कहा कि सहकारी निकायों के लिए पारदर्शी चुनाव कराने के लिए भारत के चुनाव आयोग की तर्ज पर एक चुनाव प्रणाली स्थापित की जाएगी।

मंत्री ने कहा, ‘‘एक ही व्यक्ति का साल दर साल निर्वाचित होना सही नहीं है। यह व्यवस्था अच्छी नहीं है।’’

शाह ने कहा कि वह खुद पिछले 25 साल से प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी (पैक्स) के अध्यक्ष हैं और इस साल इसे बदल दिया जाएगा।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की जरूरत है और मंत्रालय इसके लिए नियम बना रहा है।

शाह ने खरीद में पारदर्शिता लाने की जरूरत के बारे में भी बताया और कहा कि इसके लिए सरकार के ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) से बेहतर कोई माध्यम नहीं है।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय एक नई सहकारी नीति लेकर आ रहा है, एक डेटाबेस तैयार कर रहा है, प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए एक विश्वविद्यालय की स्थापना कर रहा है और विदेशी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक निर्यात घर भी स्थापित कर रहा है।

जून में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के कम्प्यूटरीकरण को मंजूरी दी थी। इसके पीछे मकसद पैक्स की दक्षता बढ़ाना, उनके परिचानलन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना, उनके कारोबार में विविधता लाना है।

इस परियोजना के तहत पांच साल में 63,000 चालू पैक्स के कम्प्यूटरीकरण का प्रस्ताव है। इसके लिए कुल बजट परिव्यय 2,516 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 1,528 करोड़ रुपये है।

शाह ने कहा कि मंत्रालय बहु-राज्य सहकारी अधिनियम में भी बदलाव लाएगा।

मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सहकारी समितियों में कराधान संरचना को अन्य कंपनियों के बराबर लाया गया है।

उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र को अब गड़बड़ी वाला क्षेत्र नहीं माना जा सकता।

देश में 8.5 करोड़ सहकारी समितियां हैं, जिनमें 29 करोड़ सदस्य जुड़े हुए हैं। शाह ने कहा कि इस संख्या को बढ़ाकर 100 करोड़ से अधिक करने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने नया सहकारिता मंत्रालय बनाने का फैसला किया है क्योंकि इस क्षेत्र में विकास की काफी संभावनाएं हैं।

शाह ने कहा कि पिछले सात साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 60 करोड़ वंचितों के लिए घर, शौचालय, स्वच्छ पानी, स्वास्थ्य सुविधा, गैस सिलेंडर और बिजली कनेक्शन जैसी सभी बुनियादी जरूरतों को पूरा किया है।

ये 60 करोड़ लोग अब बेहतर जीवन की आकांक्षा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘वे कुछ करना चाहते हैं लेकिन उनके पास पूंजी नहीं है।’’

शाह ने कहा कि बिना ज्यादा पूंजी के कुछ करने का एकमात्र तरीका सहकारिता ही है।

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