देश की खबरें | वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र लोगों को मुकदमेबाजी के बोझ से राहत देता है : न्यायमूर्ति कौल
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नयी दिल्ली, 24 सितंबर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजय किशन कौल ने रविवार को वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की पैरवी करते हुए कहा कि यह लोगों को मुकदमेबाजी के कारण पड़ने वाले बोझ से राहत देता है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के दो दिवसीय ‘अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन 2023’ के समापन सत्र में शीर्ष अदालत के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि कानूनी बिरादरी में इसके बारे में जागरूकता ‘‘समय की आवश्यकता’’ है।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा, ‘‘अदालतों में मुकदमेबाजी हमेशा से ही वादियों और वकीलों द्वारा मांगा जाने वाला विकल्प रहा है, लेकिन समझौता, मध्यस्थता और सुलह की प्रकृति में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के बढ़ते इस्तेमाल को देखकर मुझे खुशी होती है, जिसमें मुझे व्यक्तिगत रूप से गहरा विश्वास है।’’
सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘अदालतों के बाहर बैठने के फायदे किसी मामले में मुकदमा चलाने के फायदे से कहीं अधिक हैं। मुकदमे अक्सर वर्षों तक चलते हैं, जिससे न्याय मुहैया कराने वाली प्रणाली में भारी देरी होती है और लोग एक-दूसरे के प्रति शत्रुतापूर्ण हो जाते हैं।’’ सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भूपेन्द्र यादव सहित अन्य नेता शामिल हुए।
न्यायमूर्ति कौल ने बीसीआई के काम की सराहना की और दो दिवसीय कार्यक्रम को एक बेहतरीन पहल बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत बढ़िया पहल है और जो प्रयास किया गया, उसकी मैं सराहना करता हूं। वकीलों की कानूनी बिरादरी इतना सकारात्मक सोचती है कि यह अपने आप में एक बड़ी शुरुआत है।’’
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में हुई चर्चाओं और प्राप्त सुझावों का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए और कानूनी प्रणाली में सुधार के लिए सरकार को दिया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति कौल ने कहा, ‘‘भारत में हम न्यायिक व्यवस्था में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका सबसे उल्लेखनीय उपयोग डिजिटल या ई-अदालतों का आगमन रहा है, जब कोविड-19 महामारी के दौरान समस्याएं थीं और दुनिया ठहर सी गयी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे लिए, न्यायाधीशों और वकीलों दोनों के लिए गर्व की बात है कि न्याय मुहैया कराने के स्थान बंद नहीं हुए। यह प्रभावित हुआ हो, लेकिन हम सभी ने यह देखने की पूरी कोशिश की कि महामारी के बावजूद आम लोग न्याय मुहैया कराने वाली प्रणाली तक पहुंच सकें।’’
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में देश भर के वकील और वादी दिल्ली की यात्रा किए बिना अपने संबंधित मामलों में शामिल हो पाते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें समय और पैसा का पहलू भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि ‘‘यह अक्सर कहा जाता है कि वित्तीय बाधा के बावजूद, न्याय प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से और आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।’’ न्यायमूर्ति कौल ने कहा, ‘‘महामारी का प्रभाव कम होने के बाद भी, देश भर की अदालतों ने डिजिटल तरीके से सुनवाई की पद्धति अपनाई है, जो मुझे यकीन है कि आने वाले समय में भी बनी रहेगी।’’
न्यायमूर्ति कौल ने 15 सितंबर को अधिसूचित मध्यस्थता अधिनियम 2023 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य विवादों को सुलझाने के लिए वैकल्पिक तंत्र में हितधारकों के हित की सेवा के लिए ऑनलाइन मध्यस्थता को प्रोत्साहित करना है।
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