जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह सीपीओ, बिनौला, सोयाबीन, पामोलीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. जाड़े में हल्के तेलों की बढ़ती मांग के बीच देशी तेल के सस्ता होने से बीते सप्ताह देश के प्रमुख तेल-तिलहन बाजार में सोयाबीन, सरसों, मूंगफली सहित अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव हानि दर्शाते बंद हुए।
नयी दिल्ली, 12 दिसंबर जाड़े में हल्के तेलों की बढ़ती मांग के बीच देशी तेल के सस्ता होने से बीते सप्ताह देश के प्रमुख तेल-तिलहन बाजार में सोयाबीन, सरसों, मूंगफली सहित अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव हानि दर्शाते बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की पॉल्ट्री कंपनियों की स्थानीय मांग के बीच केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आश्वस्त किया है कि देश के किसानों के हित में डीओसी का आयात नहीं होगा।
इस बीच, सोयाबीन की नई फसल के बाजार में आने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव के अलावा सोयाबीन तेलों की कीमतें पिछले सप्ताहांत के मुकाबले हानि दर्शाती बंद हुईं। देश में अत्यधिक मात्रा में आयात की वजह से भी सोयाबीन तेलों के भाव टूटे।
सूत्रों ने कहा कि सीपीओ और पामोलीन के आयातकों को भी प्रति किलो तेल पर 3-4 रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगा होने और जाड़े के मौसम के कारण पामोलीन की मांग कमजोर हुई है और सीपीओ के प्रसंस्करण पर भी खर्च बढ़ा है। इसके अलावा जाड़े में हल्के तेलों की मांग बढ़ने से भी सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई।
उन्होंने कहा कि मूंगफली और बिनौला तेल के सस्ता होने का असर बाकी तेल-तिलहनों पर भी हुआ और उनके भाव नरम हो गये। राजस्थान और गुजरात में सोयाबीन की नई फसल की आवक बढ़ रही है और बिनौला की नई फसल आने से इसके भाव कमजोर हुए हैं।
सूत्रों ने कहा कि गिरावट के आम रुख के अनुरूप सरसों तेल- तिलहनों के भाव भी अपने पिछले सप्ताहांत के मुकाबले हानि दर्शाते बंद हुए। उन्होंने कहा कि ‘स्टॉक लिमिट’ लागू किये जाने की चर्चाओं के बीच किसानों और तेल मिलों ने सरसों के अपने बचे-खुचे स्टॉक को निकाल दिया जिससे सरसों के भाव टूटे हैं। इस बार किसानों को सरसों के अच्छे दाम मिलने से सरसों की अगली पैदावार बंपर होने की संभावना है। इस बार इसकी बुवाई का रकबा काफी बढ़ा है।
सूत्रों ने बताया कि बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 50 रुपये की गिरावट के साथ 8,800-8,825 रुपये प्रति क्विंटल रह गया, जो पिछले सप्ताहांत 8,850-8,875 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 350 रुपये घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 17,150 रुपये क्विंटल रह गया। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमत 50-50 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,640-2,665 रुपये और 2,720-2,830 रुपये प्रति टिन रह गईं।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 250-250 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,550-6,650 रुपये और 6,400-6,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
सोयाबीन की नई फसल की आवक बढ़ने की वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 270 रुपये, 170 रुपये और 130 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 12,950 रुपये, 12,700 रुपये और 11,540 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
मूंगफली की नई फसल की राजस्थान और गुजरात की मंडियों में आवक बढ़ने के बाद इसके भाव के कमजोर होने से मूंगफली तेल-तिलहन के भाव समीक्षाधीन सप्ताह में हानि दर्शाते बंद हुए। इस दौरान मूंगफली का भाव 200 रुपये घटकर 5,700-5,785 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली तेल गुजरात का भाव 500 रुपये की गिरावट के साथ 12,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड का भाव 80 रुपये टूटकर 1,840-1,965 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
मांग प्रभावित होने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 190 रुपये की गिरावट के साथ 10,980 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 220 रुपये की गिरावट के साथ 12,580 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन कांडला तेल का भाव 200 रुपये टूटकर 11,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।
बिनौला तेल का भाव 520 रुपये की गिरावट दर्शाता 11,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सप्ताह के दौरान मक्का खल का भाव 25 रुपये सुधरकर 3,850 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ।
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