जरुरी जानकारी | विदेशों में गिरावट जारी रहने से सभी तेल-तिलहनों के दाम टूटे

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नयी दिल्ली, 31 दिसंबर विदेशों में गिरावट जारी रहने के बीच मंगलवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में वर्ष के आखिरी कारोबारी सत्र में लगभग सभी तेल-तिलहनों के दाम में नरमी आई।

मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट का रुख है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में गिरावट के रुख जारी रहने के साथ साथ बिनौला सीड का वायदा दाम कमजोर बने रहने से सभी तेल-तिलहनों की कारोबारी धारणा प्रभावित हुई है।

वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम नीचे होने की वजह से विशेष रूप से मूंगफली सबसे अधिक प्रभावित हुआ है जिसमें लगभग 60 प्रतिशत खल निकलता है। इस खल के नहीं बिकने की वजह से मूंगफली पेराई मिलें मूंगफली नहीं खरीद रहे। मूंगफली खल का दाम पिछले साल 3,500-3,600 रुपये क्विंटल था जो बिनौला खल का दाम कमजोर रहने के कारण इस बार घटकर 2,200-2,300 रुपये क्विंटल रह गया है।

उन्होंने कहा कि इसी तरह बाजार धारणा कमजोर होने से सोयाबीन की भी हालत खराब है। इसके भी डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग प्रभावित हो रही है। सोयाबीन पेराई से भी काफी मात्रा में डीओसी निकलता है और इसी के निर्यात या घरेलू मांग को पूरा करने से सोयाबीन किसानों को असली लाभ होता है।

डीओसी से होने वाली कमाई की उम्मीद में ही किसान सोयाबीन खेती में दिलचस्पी लेते हैं और डीओसी की मांग कमजोर रहे तो सोयाबीन तेल की मांग भी प्रभावित होती है क्योंकि सोयाबीन डीओसी की कमजोर मांग से होने वाली हानि की भरपाई के लिए सोयाबीन तेल के दाम बढ़ाने पड़ते हैं।

सरकार सोयाबीन की खरीद के बजाय अगर इसके डीओसी की खरीद कर उसका स्टॉक करे और लाभ मिलने के समय का इंतजार करे तो सोयाबीन का अपने आप ही बाजार बन जायेगा। देशी तेल-तिलहनों का बाजार बनाने के लिए नीति बनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को सहकारी संस्था हाफेड और नाफेड की ही तरह अपना स्टॉक हाथ के हाथ बेचने के बजाय उसका स्टॉक जमा रखना चाहिये। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास की खरीद का असली फायदा किसानों को तब मिलेगा जब एमएसपी लागत के हिसाब से ही कपास नरमा और बिनौला सीड बाजार में खपाया जाये। इसे औने पौने दाम पर निपटाने से तेल-तिलहनों की बाजार धारणा खराब होती है।

सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में संभावित रूप से ‘सट्टेबाजी’ की वजह से पाम, पामोलीन के दाम बाकी तेलों के मुकाबले लगभग 15 रुपये किलो मंहगे बैठ रहे हैं। इस दाम पर कोई लिवाल मिलना मुश्किल ही है। इस स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि तेल-तिलहनों का हाजिर बाजार स्थिर रखना हो तो इनका वायदा कारोबार कभी भी शुरु नहीीं किया जाना चाहिये।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 6,575-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 5,800-6,125 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,150-2,450 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,300-2,400 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,300-2,425 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,175 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,300 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,300-4,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,000-4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

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