जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. देश की प्रमुख मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने के बीच बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सभी तेल-तिलहनों पर दबाव रहा और इनकी कीमतें हानि दर्शाती बंद हुईं।
नयी दिल्ली, 24 मार्च देश की प्रमुख मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने के बीच बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सभी तेल-तिलहनों पर दबाव रहा और इनकी कीमतें हानि दर्शाती बंद हुईं।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान मंडियों में लगभग 13 लाख से 16 लाख बोरी तक सरसों की आवक हुई। हालांकि यह आवक ज्यादातर छोटी जोत वाले किसानों की थी जिन्हें पैसों की आवश्यकता थी। बड़े किसान अब भी सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की खरीद होने का इंतजार करते दिखे।
उन्होंने कहा कि इस बीच यह अफवाह भी उड़ी कि अगले महीने सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम जैसे ‘सॉफ्ट आयल’ का आयात बढ़ने वाला है। उन्होंने कहा कि संभवत: यह अफवाह सरसों किसानों का मनोबल तोड़कर उन्हें अपनी उपज कम दाम पर बेचने के लिए प्रेरित करने के मकसद से उड़ाई गई हो सकती है। सरसों की बढ़ती आवक के बीच बाकी तेल-तिलहनों पर भी दबाव कायम हो गया और लगभग सभी तेल-तिलहनों में गिरावट देखने को मिली।
सूत्रों ने कहा कि जो हालत इस बार सोयाबीन की हुई है उसे देखते हुए चिंता की जानी चाहिये। आयातित सोयाबीन डीगम थोक में पाम पामोलीन से 5-6 रुपये किलो सस्ता बैठने के बावजूद खुदरा में पाम पामोलीन से 20-30 रुपये लीटर महंगा (प्रीमियम दाम पर) बिक रहा है। वहीं सस्ते आयातित तेल के कमजोर थोक दाम के बीच अधिक लागत वाला देशी सोयाबीन की पेराई में मिल वालों को देशी सोयाबीन तेल बेपड़ता बैठता है और संभवत: इसी वजह से सोयाबीन तिलहन की खरीद एमएसपी से काफी कम दाम पर हो रही है। जबकि पिछले कुछ साल में सोयाबीन फसल के लिए किसानों को एमएसपी से काफी ऊंचे दाम मिलते रहे हैं। इन्हीं वजहों से देशी सोयाबीन का खपना दूभर हो गया है। अब डर यह है कि कहीं अगली बार सोयाबीन की बिजाई न प्रभावित हो।
सूत्रों ने कहा कि पहले सूरजमुखी के मामले में हम ऐसा देख चुके हैं और उसका नतीजा है कि आज एमएसपी बढ़ाये जाने के बावजूद किसान सूरजमुखी का रकबा बढ़ाने को तैयार नहीं हैं, इसकी खेती का रकबा सिमटता ही जा रहा है। यह डर मूंगफली और सोयाबीन के मामले में अधिक है कि कहीं इनकी खेती का रकबा न घटने लगे। वर्ष 1997-98 में 26.76 लाख हेक्टेयर में सूरजमुखी बोयी जाती थी लेकिन मौजूदा समय में यह रकबा बेहद कम रह गया है। वर्ष 1997-98 में देश सूरजमुखी के मामले में लगभग आत्मनिर्भर था और आज हम सूरजमुखी तेल के लिए लगभग 98 प्रतिशत आयात पर निर्भर हो चले हैं।
दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) की है जिसका उपयोग मुर्गीदाने के रूप में किया जाता है। अधिकांश सोयाबीन उत्पादक किसानों की मंशा सोयाबीन तेल पेराई के दौरान डीओसी से होने वाली कमाई की होती है। लेकिन मौजूदा समय में विदेशों में सोयाबीन डीओसी के कम दाम दिये जा रहे हैं और इसकी स्थानीय मांग कमजोर है। सोयाबीन उत्पादक किसान डीओसी के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए सब्सिडी दिये जाने की मंशा रखते हैं।
सूत्रों ने कहा कि स्थिति यह है कि आयातित सूरजमुखी तेल 82-83 रुपये किलो बैठता है जबकि ऊंची लागत वाला देशी सूरजमुखी तेल लगभग 160 रुपये किलो बैठता है तो इसे गैर-प्रतिस्पर्धी होने से कौन रोक पायेगा?
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 150 रुपये की गिरावट के साथ 5,275-5,315 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 250 रुपये घटकर 10,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 40 और 30 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 1,710-1,810 रुपये और 1,710-1,825 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 90-90 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,555-4,575 रुपये प्रति क्विंटल और 4,355-4,395 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 700 रुपये, 600 रुपये और 650 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 10,500 रुपये और 10,300 रुपये और 9,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
महंगे दाम पर लिवाली प्रभावित रहने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 45 रुपये की गिरावट के साथ 6,080-6,355 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 200 रुपये और 25 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 14,800 रुपये क्विंटल और 2,225-2,500 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 125 रुपये की गिरावट के साथ 9,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 350 रुपये की गिरावट के साथ 10,300 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 450 रुपये की गिरावट के साथ 9,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
गिरावट के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी 300 रुपये घटकर 9,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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