मुंबई, 22 जनवरी: कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने में हो रही देरी को लेकर उपमुख्यमंत्री अजित पवार को महाराष्ट्र सरकार से सवाल पूछना चाहिए लेकिन वह (पवार) आरक्षण के मुद्दे के खिलाफ बोल रहे हैं. जरांगे राज्य की राजधानी मुंबई की ओर अपने मार्च के तीसरे दिन अहमदनगर जिले के एक गांव में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
मुंबई तक के अपने मार्च के तहत जरांगे अपने हजारों समर्थकों के साथ 20 जनवरी को जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव से निकले थे. उनकी योजना मुंबई में तब तक आमरण अनशन करने की है जब तक सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए आदेश जारी नहीं कर देती. वह मांग कर रहे हैं कि राज्य में मराठों को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र दिया जाए, ताकि समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ उठा सके.
जरांगे ने कहा, “ अजित पवार को मराठा आरक्षण मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरना चाहिए था. उन्हें पूछना चाहिए था कि आरक्षण देने में देरी क्यों हुई? लेकिन इसके बजाय, वह इस मुद्दे के खिलाफ बोल रहे हैं.” अजित पवार ने पिछले साल जुलाई में अपने चाचा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी और राज्य में एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे.
जरांगे ने कहा कि अगर राज्य सरकार ने उनकी रैलियों के खिलाफ बल प्रयोग करने की कोशिश की तो इसके "गंभीर परिणाम" होंगे.
कार्यकर्ता ने कहा, “इस आंदोलन को अब दबाया नहीं किया जा सकता है. अपनी मांगों के लिए रैलियां निकालना और मार्च करना लोकतंत्र के दायरे में आता है। मैंने मुंबई में धरना-प्रदर्शन की इजाजत भी मांगी है.” जरांगे ने यह भी कहा कि वह राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत और चर्चा करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को मराठा समुदाय के मुद्दों को समझना चाहिए.
वह सोमवार को पुणे जिले के सुपा शहर पहुंच सकते हैं जहां वह रात्रि विश्राम करेंगे. अंतरवाली सराटी और मुंबई के बीच की दूरी 400 किलोमीटर से ज्यादा है. जरांगे 26 जनवरी से आरक्षण के मुद्दे पर अपनी भूख हड़ताल शुरू करने वाले हैं. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को कहा कि मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग 23 जनवरी से एक सर्वेक्षण करेगा.
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