पुणे, 22 सितंबर राकांपा (एसपी) की नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दोनों गुटों के साथ समान व्यवहार करने और उनकी पार्टी की ही तरह अजित पवार नीत प्रतिद्वंदी गुट को भी नया चुनाव चिह्न देने का अनुरोध किया।
लोकसभा सदस्य सुले ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा कि राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने उच्चतम न्यायालय से नैसर्गिक न्याय की मांग की है।
राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने यह कदम उठाया है।
महाराष्ट्र में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
अजित पवार जुलाई 2023 में कई अन्य विधायकों के साथ शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए, जिस वजह से उनके चाचा शरद पवार की राकांपा दो गुटों में बंट गयी थी।
शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा का विभाजन से पहले चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ था।
निर्वाचन आयोग ने इस साल फरवरी में अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को राकांपा का नाम और ‘घड़ी’ चिह्न आवंटित किया।
शीर्ष अदालत ने 19 मार्च को शरद पवार नीत गुट को लोकसभा चुनावों से पहले अपने नाम के रूप में ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ और चुनाव चिह्न ‘तुरहा बजाता हुआ आदमी’ का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी।
उच्चतम न्यायालय ने अजित पवार गुट को निर्वाचन आयोग द्वारा आवंटित चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ के इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्देश देने वाली शरद पवार नीत गुट की याचिका पर यह आदेश दिया था।
शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया और राकांपा के दोनों गुटों को नये चुनाव चिह्न देने का अनुरोध किया। शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तारीख तय की है।
लोकसभा सदस्य सुले ने शनिवार को यहां संवाददाताओं से कहा, “शरद पवार हमारी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं और वह सभी निर्णय लेते हैं। राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने उच्चतम न्यायालय से नैसर्गिक न्याय देने का अनुरोध किया है।”
सुले ने कहा, “अदालत ने हमें अंतिम निर्णय तक ‘तुरहा बजाता हुआ आदमी' चुनाव चिह्न का उपयोग करने को कहा है। वही निर्णय राकांपा के दूसरे गुट के लिए भी लिया जाना चाहिए। ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न को लेकर बड़ा भ्रम है। इसलिए हम अदालत से अनुरोध करते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले निर्णय लिया जाए।”
शरद पवार की बेटी और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि एक ही चुनाव चिह्न पर दो राजनीतिक दल दावा कर रहे हैं और अदालत ने अभी तक कोई फैसला नहीं सुनाया है, इसलिए दोनों दलों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
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