नयी दिल्ली, 13 नवंबर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई और दिवाली की रात इसके ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने की आशंका है।
शहर में पिछले 24 घंटे में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 339 दर्ज किया गया। बृहस्पतिवार को यह 314 था।
यह भी पढ़े | कोरोना के महाराष्ट्र में आज 4132 नए केस, 127 की मौत: 13 नवंबर 2020 की बड़ी खबरें और मुख्य समाचार LIVE.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 319 दर्ज किया गया जबकि गाजियाबाद में 382, नोएडा में 337, ग्रेटर नोएडा में 336 और गुड़गांव में 324 दर्ज किया गया। ये सूचकांक ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आते हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि दिन में वायु गुणवत्ता में आंशिक गिरावट होने की आशंका है।
यह भी पढ़े | दीवाली के दिन रात दस बजे तक ही चलेगी मेट्रो: डीएमआरसी.
आईएमडी ने बताया कि ताजा पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हवा की गति बढ़ने की संभावना है और इससे दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार देखा जा सकता है।
आईएमडी के क्षेत्रीय पुर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव की वजह से रविवार को हल्की बारिश भी होने की संभावना है। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि यह प्रदूषकों के भारी होकर बारिश के साथ जमीन पर गिरने के लिए पर्याप्त है या नहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, हवा की गति बढ़ने से दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना है। रविवार को हवा की अधिकतम गति 12 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की संभावना है।’’
आईएमडी के पर्यावरण अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने बताया कि हवा की गति शांत रहने और पटाखों से निकले धुएं की वजह से दिवाली की रात में वायु गुणवत्ता के ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाने की आशंका है।
उन्होंने बताया कि हालांकि इसके बाद हवा की गति में तेजी आने और इसकी दिशा बदलकर पूर्व-दक्षिणपूर्व की ओर होने का अनुमान है और इससे 16 नवंबर तक वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया जा सकता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था ‘सफर’ ने कहा कि दिवाली पर यदि पटाखे नहीं फोड़े जाते हैं तो दिल्ली में ‘पीएम 2.5’ का स्तर पिछले चार साल में सबसे कम रहने का अनुमान है।
सफर ने कहा कि दिवाली के दौरान पटाखों से उत्सर्जन नहीं होने के कारण प्रदूषण स्तर ‘बेहद खराब’ श्रेणी की ऊपरी सीमा पर रहने की आशंका है। सफर का कहना है कि पराली जलाने की वजह से एक्यूआई में अगले दो दिनों में ‘मामूली से मध्यम’ वृद्धि हो सकती है।
उसने कहा कि आग जलाने से संबंधित उत्सर्जन से 15 नवंबर को तड़के ‘पीएम 2.5’ में वृद्धि हो सकती है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बुधवार को हॉट मिक्स संयंत्रों और पत्थर तोड़ने का काम करने वाली मशीनों (स्टोन क्रशर) पर 17 नवंबर तक प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि त्योहारी मौसम की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ने की आशंका है। उसने पंजाब और हरियाणा सरकार से भी पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)