एम्स आरडीए ने निदेशक से ट्रॉमा सेंटर को कोविड केंद्र में नहीं बदलने का किया आग्रह

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने संस्थान के निदेशक से एम्स ट्रॉमा सेंटर को कोविड देखभाल केंद्र में परिवर्तित नहीं करने का आग्रह किया है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नयी दिल्ली, 5 जनवरी : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने संस्थान के निदेशक से एम्स ट्रॉमा सेंटर को कोविड देखभाल केंद्र में परिवर्तित नहीं करने का आग्रह किया है. आरडीए ने कहा है कि ट्रॉमा सेवाओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ट्रॉमा के अधिकतर मरीज कम उम्र के हैं जो अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं. आरडीए ने अपने पत्र में कहा है कि सर्जिकल ब्लॉक, एमसीएच ब्लॉक, गेरिऐट्रिक ब्लॉक, बर्न प्लास्टिक ब्लॉक जैसे खंड में कोरोना वायरस मरीजों को सेवाएं प्रदान करने पर विचार किया जाना चाहिए.

ट्रॉमा से जुड़ी सभी सेवाओं को 28 मार्च 2020 को एम्स के मुख्य परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया था और संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर जय प्रकाश नारायण एपेक्स (जेपीएनए) ट्रॉमा सेंटर को निर्दिष्ट कोविड देखभाल सुविधा केंद्र में बदल दिया गया था. आरडीए ने कहा कि वह आभारी है कि एक महीने पहले ट्रॉमा सेवाओं को वापस जेपीएनएटीसी में स्थानांतरित कर दिया गया. यह भी पढ़ें : इंदौर में 10 दिन के भीतर 23 गुना बढ़े नये संक्रमित, शादी-शवयात्राओं में लोगों की संख्या होगी सीमित

आरडीए ने कहा, ‘‘कोविड से पहले की तरह ट्रॉमा सेवाओं को बहाल करने में एक महीने का समय लगा. अब कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन जैसा कि हमने महामारी की पिछली दो लहरों में देखा है आघात के मामले भी कम नहीं हो रहे हैं.’’ आरडीए ने चार जनवरी को एक पत्र में कहा, ‘‘जेपीएनए ट्रॉमा सेंटर को कोविड-19 सेंटर में बदलने से ट्रॉमा के मरीजों को बहुत दिक्कतें हो सकती हैं. आघात के शिकार अधिकतर युवा हैं जो अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं.’’

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