भाजपा एवं राज्यपाल रवि का विरोध नहीं करते अन्नाद्रमुक प्रमुख पलानीस्वामी: द्रमुक
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) ने बुधवार को आरोप लगाया कि अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) प्रमुख ई. के. पलानीस्वामी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राज्यपाल आर एन रवि का विरोध नहीं किया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा के प्रति उनका विरोध एक नाटक है.
चेन्नई, 25 अक्टूबर : तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) ने बुधवार को आरोप लगाया कि अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) प्रमुख ई. के. पलानीस्वामी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राज्यपाल आर एन रवि का विरोध नहीं किया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा के प्रति उनका विरोध एक नाटक है. द्रमुक के आधिकारिक तमिल मुखपत्र 'मुरासोली' ने एक संवाददाता सम्मेलन में पलानीस्वामी की उस प्रतिक्रिया का उल्लेख किया, जो उन्होंने तब जतायी थी जब उनसे आर्य-द्रविड़ विमर्श के बारे में राज्यपाल रवि की टिप्पणी के बारे में सवाल किया गया था. ‘मुरासोली’ में कहा गया है कि अन्नाद्रमुक के शीर्ष नेता ने भाजपा और पार्टी के ‘प्रतिनिधि’ के तौर पर कार्य करने वाले रवि का विरोध करने के लिए 'संघर्ष' किया.
आर्यन-द्रविड़ विवाद को लेकर राज्यपाल रवि की टिप्पणी के संदर्भ में एक संवाददाता सम्मेलन में पलानीस्वामी के जवाब का जिक्र करते हुए द्रमुक की आधिकारिक तमिल पत्रिका 'मुरासोली' ने कहा है कि अन्नाद्रमुक के शीर्ष नेता पलानीस्वामी को भाजपा और रवि का विरोध करने में परेशानी हुई. इसके अलावा, 'मुरासोली' की ओर से सवाल किया गया, ‘‘...क्या इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि भाजपा का विरोध करने का पलानीस्वामी का रुख एक सुनियोजित नाटक है.’’ द्रमुक प्रमुख एवं मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की टिप्पणी का हवाला देते हुए कि अन्नाद्रमुक का भाजपा के साथ संबंध तोड़ने का दावा चालाकी भरा एक नाटक है, ‘मुरासोली’ ने उस आरोप को दोहराया और कहा कि पलानीस्वामी का 'झूठ' उजागर हो गया है. यह भी पढ़ें : भाजपा एवं राज्यपाल रवि का विरोध नहीं करते अन्नाद्रमुक प्रमुख पलानीस्वामी: द्रमुक
रवि ने 23 अक्टूबर को संकेत दिया था कि आर्य और द्रविड़ नस्ल जैसी कोई चीज नहीं है. उन्होंने कहा था कि इसलिए नस्ली विभाजन के दावे एक झूठी कहानी हैं और उन्होंने इसके लिए समानांतर इतिहास लिखने के प्रयासों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने दावा किया था कि अंग्रेजों द्वारा आर्य-द्रविड़ नस्ली विभाजन की झूठी कहानी को बढ़ावा देने की 'राजनीतिक साजिश' के कारण मारुतु बंधुओं और मुतुरामलिंग तेवर जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों का कद कम करके उन्हें जाति आधारित नेताओं तक सीमित कर दिया गया. द्रमुख मुखपत्र ने अन्नाद्रमुक का नेतृत्व करने के बावजूद द्रविड़ विचारधारा पर नहीं बोलने के लिए विपक्ष के नेता पलानीस्वामी पर निशाना साधा.