नयी दिल्ली, एक फरवरी अमेरिका ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा के तहत लचीली आपूर्ति श्रृंखला पर एक महत्वपूर्ण समझौता 24 फरवरी से प्रभाव में आएगा जिसमें भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया समेत 14 साझेदार देश शामिल हैं।
अमेरिका की वाणिज्य मंत्री जीना रैमंडो ने कहा कि यह समझौता आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने और अवरोधों को समाप्त करने में सहयोगात्मक रुख वाला होगा।
अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन से संबंधित ‘समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा’ (आईपीईएफ) समझौता 24 फरवरी से प्रभाव में आएगा।
उसने कहा, ‘‘यह इस ऐतिहासिक और अपनी तरह के पहले समझौते को साकार करने तथा जुझारू, सक्षम, उत्पादक, टिकाऊ, पारदर्शी, विविधतापूर्ण, सुरक्षित, निष्पक्ष और समावेशी आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण को लेकर आईपीईएफ के साझेदारों के बीच समन्वय बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।’’
हिंद-प्रशांत के लिए अमेरिका के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के अनुरूप अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने मई 2022 में समृद्धि के लिए महत्वाकांक्षी हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (आईपीईएफ) की शुरुआत की थी।
इस पहल का उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा, लचीली आपूर्ति श्रृंखला और डिजिटल व्यापार जैसे क्षेत्रों में समान विचार वाले देशों के बीच गहन सहयोग करना है।
भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के अलावा आईपीईएफ के अन्य सदस्य देशों में ब्रूनेई दारुस्सलाम, फिजी, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपीन, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम हैं।
आईपीईएफ के सदस्य देशों ने आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों को रोकने, उन्हें कम करने और इनके लिए तैयार होने के वास्ते गहन सहयोग के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने के लिहाज से आपूर्ति श्रृंखला समझौते पर बातचीत की। इस तरह के अवरोध पिछले कुछ सालों में कोविड-19 महामारी के कारण सामने आए थे।
रैमंडो ने कहा, ‘‘मैं ठोस प्रगति करने और रिकॉर्ड समय में ठोस परिणाम देने के लिए आईपीईएफ भागीदारों की निरंतर प्रतिबद्धता और उत्साह देखकर रोमांचित हूं।’’
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