आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए कार्ययोजना की जरूरत: न्यायमूर्ति रमण
प्रतीकात्मक फोटो (Photo Credits: Pixabay)

जयपुर, 16 जुलाई : भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण ने शनिवार को कहा कि देश के जेलों में बंद 6.10 लाख बंदियों में से करीब 80 फीसदी विचाराधीन बंदी हैं और देश की आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘आपराधिक न्याय प्रणाली में पूरी प्रक्रिया एक तरह की सजा है.

भेदभावपूर्ण गिरफ्तारी से लेकर जमानत पाने तक और विचाराधीन बंदियों को लंबे समय तक जेल में बंद रखने की समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.’’ जयपुर में 18वें अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशानिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए हमें समग्र कार्य योजना की जरूरत है.’’ यह भी पढ़े : एचडीएफसी बैंक को पहली तिमाही में 9,196 करोड़ रुपये का मुनाफा

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि बिना किसी मुकदमे के लंबे समय से जेल में बंद कैदियों की संख्या पर ध्यान देने की जरूरत है.हालांकि, उन्होंने कहा कि लक्ष्य विचाराधीन कैदियों की जल्द रिहाई को सक्षम करने तक सीमित नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘इसके बजाय, हमें उन प्रक्रियाओं पर सवाल उठाना चाहिए जो बिना किसी मुकदमे के बड़ी संख्या में लंबे समय तक कैद की ओर ले जाती हैं.’’