देश की खबरें | नयी आबकारी नीति के तहत शराब के 489 ब्रांड पंजीकृत, दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली सरकार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि आबकारी नीति 2021-22 के तहत शराब के 489 ब्रांड पंजीकृत किए गए हैं और उनमें से 428 के लिए अधिकतम खुदरा कीमत तय की गई है।
नयी दिल्ली, दो दिसंबर दिल्ली सरकार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि आबकारी नीति 2021-22 के तहत शराब के 489 ब्रांड पंजीकृत किए गए हैं और उनमें से 428 के लिए अधिकतम खुदरा कीमत तय की गई है।
दिल्ली सरकार ने कई खुदरा शराब व्यापारियों द्वारा लाइसेंस शुल्क लगाने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ से कहा कि नई नीति के तहत अब बड़ी संख्या में ब्रांड पंजीकृत किए गए हैं और ऐसा कोई कारण नहीं है कि उन विक्रेताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है जो भुगतान में चूक कर रहे हैं।
दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं का एक अनुरोध यह है कि उनसे शुल्क न लें क्योंकि कई ब्रांड ने पंजीकरण नहीं किया है, अधिकतम खुदरा कीमत (एमआरपी) तय नहीं है...कई ब्रांड ने पंजीकरण कराया है। आपको समय के साथ ब्रांड मिलते रह सकते हैं।’’
याचिकाकर्ता खुदरा शराब की दुकानों के संचालन को लेकर लाइसेंस के लिए सफल बोलीदाता हैं और एक नवंबर 2021 से लाइसेंस शुल्क लगाने के दिल्ली सरकार के निर्णय को अवैध घोषित करने का अनुरोध कर रहे हैं।
अदालत ने इस मामले को आगे सुनवाई के लिए सात दिसंबर को सूचीबद्ध किया है क्योंकि दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल एक दस्तावेज रिकॉर्ड में नहीं था।
अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने आश्वासन दिया है कि लाइसेंस शुल्क का भुगतान नहीं करने के संबंध में फिलहाल कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
अदालत ने नौ नवंबर को दिल्ली सरकार से कहा था कि वह दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के तहत शराब के ऐसे ब्रांड की संख्या के बारे में बताए जहां एमआरपी तय है और जिनकी एमआरपी अभी तय की जानी है। याचिकाकर्ता एल-7जेड(भारतीय शराब और विदेशी शराब के खुदरा विक्रेता के लिए जोनल लाइसेंस) और एल-7वी(एक क्षेत्र में भारतीय शराब, विदेशी शराब का खुदरा विक्रेता) के सफल बोलीदाता हैं।
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के खिलाफ उच्च न्यायालय के समक्ष कई याचिकाएं इस आधार पर लंबित हैं कि यह अवैध, अनुचित, मनमाना और दिल्ली उत्पाद कानून, 2009 का उल्लंघन है।
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