देश की खबरें | इंटरनेट की अनुपलब्धता के कारण 40 करोड़ बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई करने में असमर्थ: रिपोर्ट

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. कोरोना महामारी के कारण ज्यादातर देशों में पिछले कुछ महीनों से ऑनलाइन शैक्षणिक व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन एक नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं होने से विश्व में 40 करोड़ से अधिक बच्चे डिजिटल पढ़ाई करने में असमर्थ हैं।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, नौ सितंबर कोरोना महामारी के कारण ज्यादातर देशों में पिछले कुछ महीनों से ऑनलाइन शैक्षणिक व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन एक नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं होने से विश्व में 40 करोड़ से अधिक बच्चे डिजिटल पढ़ाई करने में असमर्थ हैं।

मौजूदा समय में बच्चों पर मंडरा रहे संकट पर चर्चा के लिए आयोजित दो दिवसीय डिजिटल शिखर सम्मेलन ‘‘लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन समिट’’ में बुधवार को ‘‘फेयर शेयर फॉर चिल्‍ड्रेन- प्रिवेंटिंग द लॉस ऑफ ए जेनरेशन टू कोविड-19’’ नामक यह रिपोर्ट जारी की गई।

यह भी पढ़े | Naxalites Killed: ओडिशा में मुठभेड़ में 4 नक्सली ढेर, 1 जवान घायल.

रिपोर्ट में बताया गया है कि जी-20 देशों द्वारा वित्‍तीय राहत के रूप में 8.02 हजार अरब डॉलर देने की घोषणा की गई थी, लेकिन उसमें से अभी तक केवल 0.13 प्रतिशत या 10.2 अरब डॉलर ही कोविड-19 महामारी के दुष्‍प्रभावों से लड़ने के मद में आवंटित किया गया है।

इस शिखर सम्मेलन का आयोजन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा किया जा रहा है।

यह भी पढ़े | Gujarat Monsoon Assembly Session: गुजरात में 21 सितंबर से शुरू होगा विधानसभा का 5 दिवसीय मानसून सत्र.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कोरोना महामारी की वजह से स्‍कूलों के बंद रहने से दुनिया के करीब एक अरब बच्‍चों की शिक्षा तक पहुंच संभव नहीं हो पा रही है। घर पर इंटरनेट की अनुपलब्‍धता के कारण 40 करोड़ से अधिक बच्‍चे ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रमों का उपयोग करने में असमर्थ हैं।’’

इसके मुताबिक, 34.70 करोड़ बच्‍चे स्‍कूलों के बंद होने से पोषाहार के लाभ से वंचित हैं। अगले छह महीने में 5 साल से कम उम्र के 10 लाख 20 हजार से अधिक बच्‍चों के कुपोषण से काल के गाल में समा जाने का अनुमान है। टीकाकरण योजनाओं के बाधित होने से एक वर्ष या उससे कम उम्र के 8 करोड़ बच्‍चों में बीमारी का खतरा बढ़ गया है।

नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी ने इस रिपोर्ट के निष्कर्षों को लेकर कहा, ‘‘पिछले दो दशकों में हम पहली बार बाल श्रम, गरीबी और स्‍कूलों से बाहर होने वाले बच्‍चों की बढ़ती संख्‍या को देख रहे हैं। कोविड-19 के दुष्‍प्रभावों को दूर करने के लिए जो वादे किए गए थे, उस वादे को दुनिया की अमीर सरकारों द्वारा पूरा नहीं करना उनके असमान आर्थिक रुख का प्रत्‍यक्ष परिणाम है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया की सबसे अमीर सरकारें अपने आप को संकट से बाहर निकालने के लिए खरबों का भुगतान कर रही हैं। वहीं समाज के सबसे कमजोर और हाशिए पर पड़े बच्‍चों को अपने रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है। इस निष्क्रियता का कोई विकल्प नहीं है।”

सत्याथी ‘लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन’ के संस्‍थापक हैं।

केएससीएफ के मुताबिक, इस शिखर बैठक के मुख्य वक्ताओं में स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिता फोर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाये राइडर के नाम शामिल हैं। इसके अलावा कई नोबेल विजेता भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\