Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण भूस्खलन और अचानक बाढ़ आने से 288 सड़कें अवरुद्ध

शिमला, 11 अगस्त : हिमाचल प्रदेश में पिछले दो दिन से भारी बारिश के कारण भूस्खलनों और अचानक आयी बाढ़ के कारण 280 से अधिक सड़कें बंद रहीं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ऊना में उफान पर बह रहे नालों का पानी कई घरों में घुस गया है जबकि लाहौल और स्पीति पुलिस ने निवासियों तथा यात्रियों को अत्यधिक सावधानी बरतने और जाहलमान नाले का जल स्तर ‘‘तेजी से’’ बढ़ने के कारण उसे पार न करने की सलाह दी है. अधिकारियों ने बताया कि कुल्लू, मंडी और शिमला जिले में 31 जुलाई को अचानक आयी बाढ़ के बाद लापता हुए करीब 30 लोगों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान चलाया जा रहा है लेकिन अभी कोई बड़ी सफलताा हाथ नहीं लगी है. अभी तक 28 शव बरामद किए गए हैं. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 27 जून से नौ अगस्त के बीच बारिश से जुड़ी घटनाओं में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गयी है और राज्य को करीब 842 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है.

अधिकारियों ने बताया कि 288 सड़कें बंद हैं जिनमें से 138 सड़कें शुक्रवार और 150 शनिवार को बंद हुईं. राज्य आपात अभियान केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, मंडी में 96 सड़कें, शिमला में 76 सड़कें, कुल्लू में 37, सिरमौर में 33, चंबा में 26, लाहौल और स्पीति में सात, हमीरपुर में पांच और कांगड़ा तथा किन्नौर में चार-चार सड़कें बंद रहीं. पूह और कौरिक के बीच अचानक आयी बाढ़ और नेगुलसरिन के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर भूस्खलन के बाद किन्नौर का राज्य की राजधानी शिमला से संपर्क टूट गया है. अधिकारियों ने बताया कि राज्य में 458 बिजली और 48 जल आपूर्ति योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं. यह भी पढ़ें : मणिपुर के तेंगनौपाल में उग्रवादियों और स्वयंसेवकों के बीच गोलीबारी में चार लोगों की मौत

क्षेत्रीय मौसम विज्ञान कार्यालय ने रविवार को ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी करते हुए पांच जिलों - बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कुल्लू, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन, सिरमौर और ऊना में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी है. उसने बताया कि गरज के साथ तूफान आने, बिजली गिरने और बारिश आने का पूर्वानुमान है. मौसम कार्यालय ने चंबा, हमीरपुर, कुल्लू, मंडी, सिरमौर और शिमला जिलों के कुछ स्थानों में अचानक बाढ़ आने की भी चेतावनी दी है. उसने बताया कि तेज हवाओं के कारण पेड़-पौधों, फसलों, संवेदनशील ढांचों और ‘कच्चे’ मकानों को नुकसान पहुंच सकता है और निचले इलाकों में जलभराव हो सकता है.