विदेश की खबरें | 2019 ईस्टर आतंकवादी हमला: श्रीलंका ब्रिटिश चैनल के आरोपों की जांच करेगा
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

कोलंबो, 10 सितंबर श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार को घोषणा की कि 2019 के ईस्टर आतंकवादी हमले के सिलसिले में एक ब्रिटिश चैनल द्वारा लगाये गये आरोपों की जांच के लिए वह एक जांच समिति का गठन करेंगे।

2019 में ईस्टर के अवसर पर एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन ने गिरजाघरों और बड़े-बड़े होटलों को निशाना बनाकर आत्मघाती बम हमले किए गए थे जिसमें 11 भारतीयों समेत 270 लोगों की जान चली गयी थी।

ब्रिटेन के ‘चैनल चार’ टेलीविजन स्टेशन ने मंगलवार को ‘श्री लंकाज ईस्टर बम्बिंग्स -डिस्पैचेज’ नामक वृतचित्र प्रसारित करते हुए 2019 के ईस्टर आत्मघाती बम हमलों की साजिश रचने में खुफिया सेवा प्रमुख मेजर जनरल सुरेश सलॉय समेत कुछ खास सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप लगाया था।

उसने इस हमले को ‘सुनियोजित हरकत’ बताते हुए कहा था कि इसका मकसद राजपक्षे बंधुओं के पक्ष में राजनीतिक बदलाव के लिए बाध्य करना था।

रविवार को एक सरकारी बयान में कहा गया कि देश के खुफिया प्रमुख द्वारा 2019 में ईस्टर के मौके पर बम हमले की साजिश रचे जाने के आरोपों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी।

विक्रमसिंघे ने एक पूर्व अटॉर्नी जनरल द्वारा लगाये गये इस आरोप की जांच के लिए एक संसदीय प्रवर समिति नियुक्त करने का भी निश्चय किया कि पूरा हमला एक साजिश था ।

उन्होंने कहा कि उसके बाद दोनों ही रिपोर्ट अंतिम कार्रवाई के लिए संसद में पेश की जाएंगी।

श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को देश के खुफिया प्रमुख का बचाव करते हुए कहा था कि ‘36 सालों तक देश की सेवा कर चुके एक समर्पित वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के खिलाफ हमले की साजिश रचने तथा बम हमलावरों की मदद करने के आरोप की वह कड़ी निंदा करता है।’’

दो दिन पहले ही पूर्व अपदस्थ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बम हमले में जनरल सलॉय की संलिप्तता से इनकार किया था। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया था कि नवंबर, 2019 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने में इन हमलों से उन्हें फायदा पहुंचा था।

स्थानीय इस्लामिक चरमपंथी संगठन नेशनल तौहीद जमात के नौ आत्मघाती बम हमलावरों ने 21 अप्रैल, 2019 को तीन कैथोलिक गिरजाघरों और तीन लक्जरी होटलों में धमाके किए थे जिसमें 11 भारतीयों समेत 270 लोगों की जान चली गयी थी तथा 500 से अधिक घायल हुए थे। नेशनल तौहीद जमात का संबंध आईएसआईएस से था।

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