बिहार में मंत्रियों, विधानमंडल सदस्यों के वेतन में एक साल तक 15 प्रतिशत की कटौती

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया।

पटना, आठ अप्रैल बिहार राज्य मंत्रिपरिषद ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री, राज्य के मंत्रियों एवं विधान मंडल के सदस्यों के वेतन में अगले एक साल तक 15 प्रतिशत कटौती करने एवं उक्त राशि “कोरोना उन्मूलन कोष” में देने को बुधवार को मंजूरी दे दी।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया।

मंत्रिपरिषद ने पांचवीं एवं आठवीं के छात्रों को बिना वार्षिक परीक्षा के अगली कक्षा में भेजने की अनुमति दे दी है।

मंत्रिपरिषद ने बिहार आकस्मिकता निधि में राशि को 30 मार्च, 2021 तक के लिए अस्थायी रूप से बढ़ाकर 8470.45 करोड़ रूपये किए जाने को मंजूरी प्रदान कर दी।

मंत्रिपरिषद ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार द्वारा 21,188.42 करोड़ रूपये बाजार ऋण सहित कुल 26,419.00 करोड़ रूपये के ऋण उगाही की स्वीकृति प्रदान कर दी है।

बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेमचंद्र मिश्र ने राज्य मंत्रिपरिषद के कोरोना वायरस उन्मूलन को लेकर विधायकों-विधान पार्षदों के वेतन में कटौती संबंधी निर्णय का समर्थन करते हुए राज्य में उच्च पदों पर आसीन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के वेतन में भी इसी तरह कटौती किए जाने की मांग की है।

प्रेमचंद्र ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का प्रथम दायित्व बनता है कि आपदा के घड़ी में आगे बढ़कर अपना योगदान दें, विधायकों-विधान पार्षदों ने पहले भी अपना एक महीने का वेतन और ऐच्छिक कोष से 50 लाख रुपये का योगदान दिया है।

उन्होंने कहा ''हमें आशा है कि राज्य के लोगों को कोरोना संकट से बचाने के लिए अब बड़े पदों पर बैठे आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को भी खुद से आगे बढ़कर अपना सहयोग देना चाहिए।

प्रेमचंद्र ने कहा कि कांग्रेस पार्टी यह जानना चाहती है कि जब सरकार का कार्यकाल मात्र 5-6 महीने शेष बचा है तब वो किस अधिकार से एक साल के लिए वेतन कटौती का निर्णय लिया है?

उन्होंने विधायकों-विधान पार्षदों से ली गयी राशि में अबतक खर्च नहीं किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा, ''मुख्यमंत्री हमेशा कहते रहते हैं कि राज्य के खजाने पे पहला हक आपदा पीड़ितों का होता है लेकिन यहां सरकार अपना खजाना खोलने के बजाय विधायकों-विधान पार्षदों के ही द्वारा दिये पैसों से कोरोना उन्मूलन करना चाहते हैं?''

प्रेमचंद्र ने कहा कि कांग्रेस को यह शिकायत मिली है कि मुफ्त अनाज देने की मुख्यमंत्री की घोषणा धरातल पे कहीं दिखाई नहीं दे रही है और ना ही प्रयाप्त संख्या में अभी तक पीपीई किट, जांच किट, सर्जिकल मास्क और वेंटिलेटर, आईसीयू बेड का इंतेजाम हो सका है जो चिंता का विषय है। आखिर सरकार धन का सदुपयोग क्यों नही कर रही है?

उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी फिजूलखर्ची पर भी रोक लगानी चाहिए तथा संयमित खर्च को ध्यान में रखते हुए अनावश्यक विज्ञापनों से भी परहेज करना चाहिए।

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