जिप भले ही यह एक आम और रोजाना इस्तेमाल वाली मशीन हो, पर इसने हॉलीवुड के बागी सितारों मार्लन ब्रैंडो और जेम्स डीन के आइकॉनिक स्टाइल में योगदान दिया, चंद्रमा पर गई और द रोलिंग स्टोन्स के एक एल्बम की सेंसरशिप का वजह बनी.कोविड महामारी के कारण शायद जिप की लोकप्रियता कुछ कम हो गई है, क्योंकि वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोग अक्सर इलास्टिक वाले पैंट पहनना पसंद करते हैं. लेकिन जब भी हमें घर से बाहर निकलना होता है, तो यह हमारे कोट, पैंट और बैग- हर जगह फिर से दिखाई देती है.
वर्क-फ्रॉम-होम वो पहली चुनौती नहीं है जिसका जिप ने अपने 130 साल के इतिहास में सामना किया है, बटन-फ्लाई जींस भी नियमित रूप से फैशन में वापसी करती रही है और हर कोई जानता है कि जब जिप फंस जाती है तो कितना गुस्सा आता है.
लेकिन इसके पेटेंट के रजिस्टर होने के 130 साल बाद, जिप ने एक बेहतरीन फैशन सहयोगी के रूप में अपने खिताब को बचाए रखा है.
इसकी शुरुआत कैसे हुई
जिप जैसे कपड़े को बांधने वाले उपकरणों के शुरुआती मॉडल 1850 के दशक की शुरुआत में लॉन्च हुए थे. लेकिन उनमें जंग लग जाती थी और वो अक्सर अनचाहे ही खुल जाते थे. इस्तेमाल करने में ये अजीब भी लगते थे और बहुत महंगे भी थे.
एक अमेरिकी ट्रैवलिंग सेल्समैन, व्हिटकॉम्ब जुडसन ने 1890 में फास्टनर का एक उन्नत संस्करण विकसित किया. 29 अगस्त, 1893 को ‘क्लैस्प लॉकर' उन्हें इसका पेटेंट भी मिल गया. कुछ ही समय बाद, उन्होंने शिकागो वर्ल्ड्स फेयर में अपने इस अविष्कार को प्रस्तुत किया.
जुडसन के क्लैस्प लॉकर को जूतों के लंबे फीतों के विकल्प के रूप में डिजाइन किया गया था. लेकिन आज स्पष्ट है कि हर किसी को फीते बांधना उबाऊ नहीं लगा और जुडसन के अविष्कार को व्यापक उदासीनता का सामना करना पड़ा.
अमेरिकी सेना मुख्य ग्राहक बनी
जुडसन और उनके साझेदारों ने डिवाइस की तकनीक में सुधार करके इसे दोबारा लॉन्च किया लेकिन इस काम में उन्हें करीब एक दशक लग गए. यूरोप सहित अन्य जगहों पर इंजीनियरों ने अविष्कार को और बेहतर बनाने की कोशिशें जारी रखीं.
जब इस डिवाइस का लगातार उत्पादन शुरू हुआ, तो अमेरिकी सेना इसके पहले थोक खरीदारों में से एक बन गई, जिसने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सैनिकों के कपड़ों और गियर में जिप का इस्तेमाल किया.
हालांकि 1930 के दशक के अंत तक ऐसा नहीं था कि इस अविष्कार ने आखिरकार फैशन में क्रांति ला दी हो.
जैसा कि उस समय फैशन नवाचारों के मामले में अक्सर होता था, शुरुआत में जिप का उपयोग केवल पुरुषों के कपड़ों के लिए किया जाता था. क्योंकि महिलाओं के लिए ऐसे कपड़े पहनना ठीक नहीं माना जाता था जिन्हें जल्दी से उतारा जा सके.
जब आखिरकार महिलाओं के कपड़ों में भी इसका इस्तेमाल शुरू किया गया, तो महिला के अंतरंग भागों पर ध्यान आकर्षित करने से बचने के लिए जिप को कपड़े के टांगों और धड़ के जोड़ वाले हिस्से पर लगाने के बजाए किनारे पर अलग से लगाया गया.
जर्मनी में, ज्यादातर पुरुष 1960 के दशक के अंत तक जिप वाले फ्लाई ट्राउजर पहनने लगे थे, इसी समय जींस को एक ऐसे कपड़े के रूप में स्वीकार किया जाने लगा जिसे महिला और पुरुष दोनों पहन सकते थे.
लेकिन अब भी, कई निर्माता महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग तरह से पैंट डिज़ाइन करते हैं- महिलाओं के फैशन में जिप पारंपरिक रूप से बाएं हाथ से जिप किए जाते हैं, जबकि पुरुषों के कपड़ों में दाहिने हाथ से. यह जिप युग से पहले की विरासत है, जब महिलाओं के फैशन में बटनें उन अमीर महिलाओं के लिए डिजाइन की गई थीं जिन्हें उनकी नौकरानियां कपड़े पहनाती थीं.
अब यह अंतर यूनिसेक्स कपड़ों के साथ शायद ही मौजूद हो, हालांकि अभी भी यह शर्ट, ब्लाउज और सूट के लिए आम बात है.
जिप पहुंची चांद पर
शुरुआती दौर में जिप धातु से बने होते थे. बाद में नायलॉन और प्लास्टिक जैसी अन्य चीजों से भी बनाए जाने लगे. अब तो निर्माताओं ने ऐसे जिप भी विकसित कर लिए हैं जो दोनों सिरों से खुल सकते हैं.
लेकिन तकनीकी सुधारों से परे, मूल सिद्धांत वही रहा है- जिप धातु या प्लास्टिक के दांतों की पंक्तियों के साथ कपड़े की दो लचीली पट्टियों से बना होता है जो एक स्लाइडर द्वारा एक साथ धकेलने पर एक दूसरे से जुड़कर चिपक जाते हैं.
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1950 के दशक के अंत में, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी अपने उच्च दबाव वाले अंतरिक्ष सूट विकसित करते समय जिप तकनीक को बेहतर बनाने में योगदान दिया. एक ऐसा एयर-टाइट सीलबंद जिप डिजाइन किया जो दबाव का सामना कर सके. इनका उपयोग जुलाई 1969 में अपोलो 11 मिशन के दौरान किया गया था, जो चंद्रमा पर पहली लैंडिंग थी.
हालांकि, सूट अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के लिए उपयुक्त नहीं थे, जो अब आम हो चुका है. यही वजह है कि नासा ने जिप को हटा दिया. फिर भी नासा टेक्नोलॉजी ने इसके जो अग्निरोधी और रासायनरोधी डिजाइन तैयार किए, उनकी आज भी काफी मांग है, खासकर अग्निशमन विभागों और रासायनिक संयंत्रों के लिए.
विद्रोह और पॉप कला
जिप ने पॉप संस्कृति में भी अपनी जगह बना ली है. ‘द वाइल्ड वन' (1953) में हॉलीवुड के विद्रोही अभिनेता मार्लन ब्रैंडो और ‘रिबेल विदाउट ए कॉज' (1955) में जेम्स डीन ने एक खास शैली अपनाई- लापरवाही से अपनी जैकेट को आधी बंद जिप के साथ पहनने की.
1971 में भी, जिप विवाद को जन्म देने में कामयाब रही. उस वर्ष, द रोलिंग स्टोन्स ने अपना प्रसिद्ध एल्बम ‘स्टिकी फिंगर्स' जारी किया और इस एल्बम का कवर पॉप आर्ट आइकन एंडी वारहोल ने डिजाइन किया था.
इसमें एक धातु की असली जिप थी. हालांकि जिप खोलने पर इसमें कोई जननांग नहीं दिखा बल्कि सिर्फ एक सूती अंडरगार्मेंट था, फिर भी उस समय इसे अच्छा नहीं माना गया और अपमानजनक पहनावे के रूप में देखा गया था.
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स्पेन में, फ्रांको के शासन ने इस ‘अश्लील' एल्बम को सेंसर कर दिया जिसके कारण एक वैकल्पिक संस्करण डिजाइन किया गया जिसमें एक महिला की उंगलियों को सिरप के टिन के डिब्बे से रेंगते हुए बाहर आते दिखाया गया था- जो कई लोगों को जिप-अप पैंट की तुलना में कहीं अधिक परेशान करने वाला लगता है. ट्रैक ‘सिस्टर मॉर्फीन' को भी स्पेनिश बाजार के लिए ‘स्टिकी फिंगर्स' से हटाना पड़ा, जबकि एल्बम के लगभग सारे ट्रैक ‘ब्राउन शुगर' से लेकर ‘बिच' तक ड्रग्स के इर्द-गिर्द घूमते थे.
आज, पहली बार पेटेंट कराए जाने के 130 साल बाद भी जिप यहाँ मौजूद है. जापान का वाईकेके समूह, दुनिया का सबसे बड़ा जिप निर्माता है, जो सालाना इसकी करीब 1.5 अरब यूनिट का बनाता है.
यह बस हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है. भले ही इस पर तब तक किसी का ध्यान नहीं जाता, जब तक कि यह फिर से अटक न जाए.