देश की खबरें | स्वतंत्रता संग्राम और तीन युद्धों के गवाह पीटीआई के पूर्व पत्रकार 100 साल के हुए

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के पूर्व पत्रकार वॉल्टर अल्फर्ड सोमवार को अपने जीवन के 100 बरस पूरे करने जा रहे हैं। पत्रकार के तौर पर अपने लंबे करियर के दौरान वह भारत छोड़ो आंदोलन और कई युद्धों के गवाह बनने के अलावा पाकिस्तान की जेल में भी रह चुके हैं।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

मुंबई, 20 सितंबर प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के पूर्व पत्रकार वॉल्टर अल्फर्ड सोमवार को अपने जीवन के 100 बरस पूरे करने जा रहे हैं। पत्रकार के तौर पर अपने लंबे करियर के दौरान वह भारत छोड़ो आंदोलन और कई युद्धों के गवाह बनने के अलावा पाकिस्तान की जेल में भी रह चुके हैं।

उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध समेत कई लड़ाइयों को कवर किया।

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मुंबई के बाहरी इलाके में मीरा रोड नगर स्थित अपने आवास पर पत्रकारिता के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, ''मेरे लिए 1962 में चीन के साथ हुआ युद्ध काफी दर्दनाक याद है क्योंकि इसने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को बुरी तरह प्रभावित किया था। चीन द्वारा धोखा दिए जाने से उन्हें गहरा सदमा लगा था।''

अब जब एक बार फिर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं तो अल्फर्ड का कहना है कि पहले सीमा पर होने वाले घटनाक्रम को लेकर आधिकारिक जानकारी की कोई कमी नहीं होती थी।

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उन्होंने कहा कि उस समय सरकार की ओर से स्पष्ट संवाद किया जाता था। साथ ही संसद में विस्तृत बयान दिया जाता था।

अल्फर्ड ने कहा, ''मैंने नेहरू के कई कार्यक्रमों को कवर किया, जिनमें प्रधानमंत्री के तौर पर अहमदनगर किले की उनकी यात्रा भी शामिल है। उन्होंने उत्साहपूर्वक मुझे वह कोठरी भी दिखाई थी जिसमें स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कैदी के तौर पर उन्हें रखा गया था।''

ब्रिटिश शासन ने भारत छोड़ो आंदोलन को जोर पकड़ने से रोकने के लिए नेहरू और अन्य राष्ट्रीय नेताओं को अहमदनगर किले में बंद कर दिया था।

अल्फर्ड ने इसके अलावा 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान की जेल में बिताए गए दिनों के बारे में भी बताया।

उन्होंने कहा कि यह सब पाकिस्तान में पीटीआई के संवाददाता के तौर पर उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान हुआ। उनका पहला कार्यकाल तीन साल तक चला था।

अल्फर्ड ने कहा, ‘‘युद्ध की घोषणा के बाद मेरे खिलाफ जासूसी के आरोप लगाए गए। मुझे लगभग एक पखवाड़े तक रावलपिंडी की जेल में रखा गया। मुझे मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों के बारे में मुश्किल ही कोई जानकारी मिल पाई।''

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों के बीच वार्ता और संयुक्त राष्ट्र के दबाव के चलते मेरी रिहाई हो पाई और वह दोनों देशों के बीच पत्रकारों की अदला-बदली में भारत लौट आए।’’

मंगलौर में पले-बढ़े अल्फर्ड ने कहा कि उन्होंने 1938 में मुंबई में समाचार एजेंसी 'रॉयटर्स' में तकनीशियन के तौर पर काम करना शुरू किया था, लेकिन पीटीआई में आने के बाद उन्होंने पत्रकार के तौर काम शुरू किया।

अल्फर्ड ने कहा कि महात्मा गांधी ने जब 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया तो वह मुंबई के गोवालिया टैंक में ही थे।

साल 1978 में पीटीआई से सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने भारतीय जनसंचार संस्थान समेत कुछ अन्य संस्थानों में पत्रकारिता की शिक्षा भी दी।

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