Coronavirus Cases Update: ब्रिटेन में मिले कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए स्ट्रेन को लेकर सरकार ने भले ही स्पष्ट कर दिया है कि यह इतना अधिक घातक नहीं है, जितना कि लोग सोच रहे हैं. लेकिन फिर भी एक सवाल सभी के मन में जरूर बना हुआ है कि आखिर क्या वजह है कि यह नया स्ट्रेन जिसे कोरोना वायरस सार्स COV-2 नाम दिया गया है, इतनी तेजी से क्यों फैलता है. इसके वैज्ञानिक कारण बताये आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन आर गंगाखेडकर ने. डॉ. गंगाखेडकर के अनुसार वायरस के ऊपर स्पाइक प्रोटीन होता है. हमारे शरीर में प्रवेश करने के बाद हमें बीमार करने के लिए वायरस को गले, नाक या फेफड़े में मौजूद कोशिकाओं का ताला खोलना होता है. ये प्रोटीन स्पाइक उस ताले की चाबी है.
पहले और अब में बस इतना फर्क है कि अब जो चाबी वायरस के हाथ लगी है, उससे ताला आसानी से खुल जा रहा है. इसीलिए ब्रिटिश सरकार बोल रही है कि यह वायरस तेजी से फैल रहा है. इससे मौत होने का खतरा बढ़ा नहीं है. इस चाबी में इतना बड़ा बदलाव भी नहीं हुआ है, कि हमारी वैक्सीन इस पर काम न करे. नए स्ट्रेन पर वैक्सीन प्रभावी होगी? इस पर डॉ. गंगाखेडकर ने कहा कि ये सभी आरएनए वायरस हैं जो आम आदमी को सर्दी जुकाम देते हैं.
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ये भी बाकी वायरस की तरह म्यूटेट होते रहते हैं. इनकी तुलना अगर इनफ्लुएंजा वायरस से करें, तो कोरोना वायरस का म्यूटेशन बहुत धीरे होता है. दूसरी बात दुनिया भर में तैयार वैक्सीन इन पर जरूर प्रभावी होंगी, क्योंकि चोर चोरी करने के बाद चाहे अपने बाल सफेद कर ले या दाढ़ी कटवा ले, लेकिन उसकी कद-काठी तो वैसी ही रहेगी. इसलिए पुलिस की पकड़ में वो आ ही जाएगा. ठीक वैसे ही वायरस का मूल रूप वही है, इसलिए वैक्सीन इस पर काम करेगी. उन्होंने कहा कि यह नया स्ट्रेन वायरस का एक सकीक्वेंस है, जो बहुत तेजी से फैलता है.
लेकिन जैसा कि अध्ययन में पता चला है कि इतनी जल्दी बीमार नहीं करता है, तो इसका मतलब ये कि यह जहां भी फैलेगा, वहां संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ेगी. हालांकि सीवियर बीमारी होना या डेथ रेट बढ़ना आदि नहीं होगा. वहीं लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉ. अनुपम प्रकाश का कहना है कि यह वायरस साधारण कोरोना वायरस की तुलना में 70 गुना ज्यादा तेजी से फैलता है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है. अभी तक जितना ज्ञान प्राप्त हुआ है, उसके अनुसार यह नॉर्मल वेरियंट है.
70 फीसदी ज्यादा इंफेक्शियस होने के बावजूद इससे संक्रमित मरीजों के भर्ती होने की दर और मृत्यु दर में कोई वृद्धि नहीं हुई है. अभी तक के आंकड़ों से यह नहीं लग रहा है कि इससे लोगों को नुकसान ज्यादा हो रहा है. हर साल आती है इंफ्लुएंजा वायरस की वैक्सीन डॉ. अनुपम ने कहा कि इनफ्लुएंजा वायरस के स्ट्रेन बहुत तेजी से बदलते हैं और साल बीतते-बीतते उनका स्वरूप पूरी तरह बदल जाता है. नॉर्दन हेमस्फियर में इसका स्वरूप अलग होता है, सदर्न हेमिस्फियर में अलग.
दुनिया के अलग-अलग देशों में इनफ्लुएंजा वायरस का स्वरूप अलग होता है, इसलिए इसकी वैक्सीन हर साल स्थानीय वातावरण के हिसाब से बनायी जाती है. कुछ इनफ्लुएंजा-ए हैं, कुछ इनफ्लुएंजा-बी हैं. हर साल जुलाई, अगस्त, सितम्बर में इसकी नई वैक्सीन आती है. कोविड वैक्सीन की बात करें तो सरकार टीकाकरण की पूरी योजना बना चुकी है. अंतिम चरण के परीक्षण और वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन की तैयारियां जारी हैं और वो भी जल्द पूरी हो जाएंगी. हो सकता है दो-तीन दिन में या साल खत्म होते-होते आपको पता चल जाएगा कि भारत में टीकाकरण कब से शुरू हो रहा है.