सोमवार को जापान और फिलीपींस के बीच एक अहम रक्षा समझौता हुआ जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के यहां सैनिक तैनात कर सकेंगे.दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के फिलीपींस पर आक्रमण और कब्जे के 70 साल से अधिक समय बाद, दोनों देशों ने सोमवार को एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो उन्हें एक-दूसरे की भूमि पर सैनिकों को तैनात करने की अनुमति देता है.
इस समझौते पर मनीला में उच्च-स्तरीय रक्षा वार्ता के दौरान हस्ताक्षर हुए. दोनों देशों के बीच यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब चीन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य और कूटनीतिक दबाव बढ़ा रहा है और फिलीपींस के उसके साथ संबंधों में लगातार तनाव बढ़ रहा है.
क्या है नया समझौता?
रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट (आरएए) नामक यह समझौता जापानी सैनिकों और उपकरणों की फिलीपींस में तैनाती के लिए कानूनी इजाजत देता है. इसी तरह फिलीपींस के सैनिक और साज ओ सामान भी जापान में तैनात किए जा सकेंगे. सात महीने से अधिक समय तक बातचीत करने के बाद यह समझौता हुआ है और दोनों देशों की संसदों की मंजूरी के बाद लागू होगा.
यह समझौता लड़ाकू प्रशिक्षण और आपदा प्रतिक्रिया में बढ़ते सहयोग का रास्ता खोलता है. सिंगापुर स्थित आईएसईएएस-यूसुफ इशाक संस्थान के वरिष्ठ फेलो एरीज अरुगाय ने बताया कि इसमें लाइव-फायर अभ्यास और संयुक्त रूप से सैन्य गश्त भी शामिल हैं.
आरएए के तहत, दोनों देश एक दूसरे से संयुक्त गतिविधियों के लिए सुविधाओं और क्षेत्रों तक "पहुंच और उपयोग" का अनुरोध कर सकते हैं. हालांकि कुल मिलाकर नियंत्रण मेजबान देश का होगा. समझौते के अनुसार, दोनों को किसी अन्य देश की भूमि पर "सैन्य सुविधाओं की स्थापना" का आधार नहीं होगा.
एशिया में अमेरिकी गठजोड़
जापान में 54,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. उसने ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ ऐसे ही रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट किए हैं, लेकिन एशिया में यह उसका पहला समझौता है. इसी तरह फिलीपींस के भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ इस तरह के समझौते हैं और फ्रांस के साथ भी ऐसा समझौता करने की योजना है.
इसके अलावा मनीला का वॉशिंगटन के साथ एक अलग समझौता है जो अमेरिकी सैनिकों को फिलीपींस के नौ सैन्य ठिकानों पर तैनाती और रक्षा उपकरण और आपूर्ति जमा करके रखने की अनुमति देता है.
फिलीपींस और जापान लंबे समय से अमेरिका के सहयोगी हैं. अमेरिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इन देशों के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है ताकि चीन के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सके. यह बात चीन को नापसंद है और वह अक्सर अमेरिकी गतिविधियों की आलोचना करता रहा है.
सोमवार को जापान में अमेरिकी राजदूत रैम इमैनुएल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि जापान-फिलीपींस समझौता "इंडो-पैसिफिक सुरक्षा साझेदारी के नेटवर्क में एक और परत" है.
उन्होंने लिखा, "ऐतिहासिक रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट... न केवल उनके सहयोग और क्षमताओं को बढ़ाता है, बल्कि हमारे सामूहिक रूप से (दूसरों को) सीमित करने और एक स्वतंत्र व खुले इंडो-पैसिफिक के प्रति प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है."
सैन्य मजबूती की ओर जापान
फिलीपींस और जापान दोनों ही एशिया और यूरोप के अन्य देशों के साथ सुरक्षा संबंधों को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. इसी साल फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदीथी.
जापान अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ क्वॉड समूह का हिस्सा है, जबकि आकुस सुरक्षा समझौते के सदस्य - ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका – सैन्य तकनीकी पर टोक्यो के साथ सहयोग करने पर विचार कर रहे हैं.
लंबे समय से शांतिवादी जापान, अमेरिका के समर्थन से चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति और उत्तर कोरिया की मिसाइल गतिविधियों के जवाब में अधिक आक्रामक हो रहा है. उसने 2027 तक रक्षा खर्च को आर्थिक उत्पादन के दो प्रतिशत तक दोगुना करने और अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइलों के साथ जवाबी हमले की क्षमताएं हासिल करने का संकल्प लिया है.
वॉशिंगटन और टोक्यो ने अप्रैल में रक्षा संबंधों में बड़े बदलाव की घोषणा की थी. इसमें संकट के वक्त उन्हें अधिक चुस्त बनाने के लिए अपने सैन्य ढांचे को विकसित करना शामिल है.
विवादित सागर की जमीन पर चीन के कब्जे से परेशान फिलीपींस
फिलीपींस के समुद्री मामलों और कानून संस्थान के निदेशक जे बैटोंगबैकल कहते हैं कि इस क्षेत्र के प्रति अमेरिकी नीति में अनिश्चितता देखने को मिलती है, इसलिए जापान अपने पड़ोसियों के लिए एक मजबूत सुरक्षा भागीदार बनने के लिए "स्तर बढ़ा रहा है."
ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर इयान हॉल कहते हैं कि जबकि चीन मनीला और टोक्यो के बीच समझौते से नाराज होगा, अमेरिका इससे खुश होगा.
उन्होंने कहा, "ट्रंप और अब बाइडेन दोनों के तहत, अमेरिका अपने क्षेत्रीय सहयोगियों को सहयोग करने और क्षेत्रीय सुरक्षा बनाए रखने के बोझ को अधिक उठाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. यह नया आरएए उस प्रक्रिया में मददगार है."
बड़ा सप्लायर बना जापान
जापान फिलीपींस को सुरक्षा उपकरणों और तकनीक का मुख्य सप्लायर है. वह खुद भी अपनी सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण और अपने तट रक्षक को मजबूत करने की प्रक्रिया में है. 2016 से जापान ने फिलीपींस तट रक्षक सेना को दस 44-मीटर (144-फुट) और दो 97-मीटर के ऐसे जहाजों की सप्लाई की है जो विभिन्न गतिविधियों में सक्षम हैं. इसके अलावा उसने पांच और 97-मीटर के आकार वाले जहाज देने पर भी सहमति दी है.
जापान ने फिलीपींस की सेना को पांच टीसी-90 प्रशिक्षक विमान और यूएच-1एच हेलीकॉप्टरों के लिए पुर्जे भी दिए हैं. इस वर्ष फिलीपींस में एक जापानी निर्मित मोबाइल एयर सर्विलांस रडार प्रणाली पहुंची और टोक्यो ने तटीय रडार प्रणाली देने का वादा किया.
टोक्यो के मनीला में राजदूत काज़ुया एंडो ने गुरुवार को कहा कि "फिलीपींस को जापान की रक्षा उपकरण आपूर्ति में” और बढ़ोतरी होने वाली है.
वीके/एए (एएफपी)