डब्ल्यूएचओ मंकीपॉक्स वायरस का नाम बदलने पर कर रहा विचार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली, 15 जून : विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) कलंक और नस्लवाद से निपटने के लिए मंकीपॉक्स वायरस का नाम बदलने पर विचार कर रहा है. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडनॉम घेब्रेयिसस ने मंगलवार को कहा कि संगठन 'मंकीपॉक्स वायरस का नाम बदलने पर दुनिया भर के भागीदारों और विशेषज्ञों के साथ काम कर रहा है.' उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ जल्द से जल्द नए नामों के बारे में घोषणा करेगा.

मंकीपॉक्स वायरस पोक्सविरिडे परिवार में ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है. ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में वेरियोला वायरस (जो चेचक का कारण बनता है), वैक्सीनिया वायरस (चेचक के टीके में प्रयुक्त) और काउपॉक्स वायरस भी शामिल है. हालांकि, मंकीपॉक्स वायरस का वास्तविक पशु स्रोत, जो विभिन्न प्रकार के स्तनधारियों में पाया गया है, आज तक अज्ञात है. डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य अधिक उपयुक्त नामों पर ऑर्थोपॉक्सवायरस के विशेषज्ञों से परामर्श करना है.

यह कदम 11 देशों के लगभग 30 वैज्ञानिकों द्वारा पिछले हफ्ते वीरोलॉजिकल् डॉट ओआरजी पर पोस्ट किए गए एक प्रीप्रिंट में आने के बाद आया है, जिसमें 'भेदभावपूर्ण' भाषा में कटौती करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, जिसका इस्तेमाल 'पश्चिम अफ्रीका और कांगो बेसिन' में बंदरों के वायरस के समूहों को अलग करने के लिए किया जाता है और संख्याओं के साथ वायरस का नाम बदलने की भी वकालत की जाती है. यह भी पढ़ें : COVID-19: कोवैक्सीन की बूस्टर खुराक डेल्टा, ओमीक्रोन के खिलाफ प्रतिरक्षा को करती है मजबूत

पेपर में, वैज्ञानिक ने वायरस को व्यापक रूप से 'एचएमपीएक्सवी' के रूप में वर्गीकृत करने का सुझाव दिया, इसकी विविधता को न्यूट्रल लाइनएजिस जैसे ए, ए.1, ए.1.1, बी.1 द्वारा दर्शाया गया है. यह पहली बार नहीं है कि वायरस और बीमारियों के भौगोलिक नामकरण वाले वायरस का नाम बदल दिया गया है.

इससे पहले कोरोना वायरस महामारी के दौरान, दुनिया भर के लोगों ने कोविड वायरस को चीन या वुहान वायरस के रूप में संदर्भित किया था और फिर से दक्षिण अफ्रीका में एक कोविड स्ट्रेन के उद्भव के कारण यात्रा प्रतिबंध लग गए, जिससे डब्ल्यूएचओ को जल्दी से सार्स-सीओवी-2 का नाम बदलना पड़ा. वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के अनुसार, मंकीपॉक्स ने अब तक स्थानिक और गैर-स्थानिक दोनों देशों में 2,821 लोगों को प्रभावित किया है.