रूस से हथियार खरीदना चीनी सेना को पड़ा महंगा, अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध
डोनाल्ड ट्रंप (File Image)

वाशिंगटन: अमेरिका ने रूस से सैन्य हथियार खरीदने के कारण चीन की सेना के खिलाफ प्रतिबंध लगाए हैं. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इसका मकसद रूस को उसकी 'अहितकारी गतिविधियों' और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दखल देने के लिए दंडित करना है. विदेश विभाग ने गुरुवार को एक बयान में कहा, "आज की गई कार्रवाई का मकसद किसी देश की सैन्य क्षमताओं को या उसकी लड़ने की क्षमता को कमजोर करना नहीं है."

विभाग ने कहा, "इसके बजाए, इसका मकसद अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया में दखल देने, पूर्वी यूक्रेन में अस्वीकार्य व्यवहार करने और अन्य अहितकारी गतिविधियों के जवाब में रूस को सबक सिखाना है." सीएनएन के मुताबिक, यह प्रतिबंध उस कानून के तहत लगाए गए हैं जिसमें अमेरिका को रूसी हथियार निर्माताओं सहित खुफिया एजेंसी या सैन्य सेवाओं से जुड़े कुछ निश्चित लोगों को साथ महत्वपूर्ण लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है.

विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी ब्लैकलिस्ट में गुरुवार को 33 और रूसी लोगों के नाम जोड़ दिए. इससे अब सूची में कुल 72 लोग हो गए. पोम्पियो ने वित्त मंत्री स्टीफन मनुचिन की सलाह से चीनी सेना के उपकरण विकास विभाग और इसके निदेशक ली शांगफू पर रूस से एसयू-35 लड़ाकू विमान और एक एस-400 (जमीन से हवा में वार करने वाली) मिसाइल सिस्टम खरीदने के चलते प्रतिबंध लगा दिया.